धर्म-अध्यात्म

Manasa Devi: हरिद्वार में इनके दर्शन ना हुए तो होती है यात्रा अधूरी,जाने कथा

Kunti Dhruw
29 Jan 2021 2:31 PM GMT
Manasa Devi: हरिद्वार में इनके दर्शन ना हुए तो होती है यात्रा अधूरी,जाने कथा
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उत्‍तराखंड के प्रमुख तीर्थों में से एक माने जाने वाले हरिद्वार में साल भर भक्‍तों का मेला लगा रहता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : उत्‍तराखंड के प्रमुख तीर्थों में से एक माने जाने वाले हरिद्वार में साल भर भक्‍तों का मेला लगा रहता है। मगर इस बार आने वाले कुछ दिनों में हरिद्वार में भक्‍तों की भारी भीड़ उमड़ने वाली है। वजह है कुंभ का मेला। यूं तो कुंभ का आरंभ यहां हो चुका है, लेकिन महाशिवरात्रि के पहले शाही स्‍नान से धार्मिक और औपचारिक तौर पर कुंभ की शुरुआत मानी जाती है। हर‍िद्वार का प्रमुख आकर्षण माना जाता है मां गंगा की निर्मल जलधारा। माना जाता है गंगोत्री से उद्गम के बाद मां गंगा सबसे पहले हरिद्वार में प्रवेश करती हैं। इसलिए यहां पर मां गंगा का जल सबसे साफ माना जाता है। हरिद्वार के अलावा भी यहां ऐसे कई प्रमुख ध‍ार्मिक स्‍थल और मंदिर हैं जिनकी मान्‍यता प्राचीनकाल से चली आ रही है। आज इस क्रम में हम सबसे पहले आपको मनसा देवी के बारे में विस्‍तार से बताएंगे। आइए जानते हैं कहां स्थित है मनसा देवी का मंदिर और क्‍या है इस मंदिर का इतिहास व पौराणिक मान्‍यताएं…

कौन हैं मनसा देवी ?
देवी मनसा को भगवान शंकर की पुत्री के रूप में पुराणों में मान्‍यता प्राप्‍त है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, मां मनसा की शादी जगत्‍कारू से हुई थी और उनके पुत्र का नाम आस्तिक था। मनसा देवी को नागों के राजा वासुकी की बहन के रूप में भी जाना जाता है।
कहां स्थित है मनसा देवी का मंदिर ?
मनसा देवी के मंदिर का इतिहास बहुत ही गौरवशाली माना जाता है। यह प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार से 3 किमी दूर शिवालिक पर्वत श्रृंखला में बिलवा पहाड़ पर स्थित है। नवरात्र के महीन में यहां पर भक्‍तों की भारी भीड़ रहती है। मान्‍यता है कि यहां भक्‍त जो मुराद लेकर आते हैं, उनकी वह मनोकामना देवी मां पूर्ण करती हैं।
भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं मां मनसा देवी
इस मंदिर में मां की 2 मूर्तियां स्‍थापित हैं। इनमें से एक मूर्ति की पंचभुजाएं और एक मुख है और वहीं दूसरी मूर्ति की 8 भुजाएं हैं। यहां मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। जैसा कि मां का नाम है मनसा यानी मन की कामना। ममता की मूर्ति मां मनसा अपने भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यहां पर आने वाले भक्‍त अपनी मुराद लेकर एक पेड़ पर धागा बांधते हैं। फिर इच्‍छा पूर्ण हो जाने के बाद उस धागे को खोलते हैं और फिर मां का आशीर्वाद लेकर चले जाते हैं।
पौराणिक मान्‍यताएं
अलग-अलग पुराणों में मां मनसा देवी का वर्णल अलग-अलग प्रकार से किया गया है। पुराणों में बताया गया है कि इनका जन्‍म कश्‍यप ऋत्रि के मस्तिष्‍क से हुआ था और मनसा किसी भी विष से अधिक शक्तिशाली थी इसलिये ब्रह्मा ने इनका नाम विषहरी रखा। वहीं विष्‍णु पुराण के चतुर्थ भाग में एक नागकन्या का वर्णन है जो आगे चलकर मनसा के नाम से प्रचलित हुई। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अंतर्गत एक नागकन्या थी जो शिव तथा कृष्ण की भक्त थी।
ऐसे पहुंचें मंदिर
मंदिर तक पहुंचने के लिए या तो आपको सीधी चढ़ाई चढ़नी होगी या फिर रोप वे की सवारी लेकर भी आप यहां आकर दर्शन कर सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको कुल 786 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर सुबह के 5 बजे से रात के 9 बजे तक खुला रहता है। बस दोपहर में 12 बजे से 2 बजे के बीच मंदिर बंद किया जाता है। मान्‍यता है कि इस वक्‍त में मनसा देवी का श्रृंगार किया जाता है।


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