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भगवान श्री कृष्ण के जन्म का त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भगवान श्री कृष्ण के जन्म का त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के पर्व पर पूरे ब्रजमण्डल में चारों ओर कृष्ण-कृष्ण की धूम रहती है। इस दिन कृष्ण भक्त विधि-पूर्वक भगवान कृष्ण का श्रृगांर करते हैं उनके लिए तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। रात्रि में भगवान का पूजन करके भोग लगाया जाता है। लोगों घरों और मंदिर में कृष्ण लीलाओं की झांकी सजाई जाती है। मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण का पूर्ण श्रृंगार कर पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त दिन सोमवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण का श्रृंगार कैसे करें और उसमें प्रयोग होने वाली प्रमुख वस्तुएं क्या हैं....
1-पालना या झूला-
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप के पूजन का विधान है। लड्डू गोपाल को पालने या झूले में रखा जाता है। भगवान कृष्ण के पूजन के बाद उनके पालने को झुलाया जाता है। पालने मखमल या रेशम का आसन बिछाया जाता है तथा लोग अपनी रूचि के अनुरूप उसे सजाते हैं।
2- कपड़े या वस्त्र-
भगवान कृष्ण को पहनाने के लिए तरह-तरह के रंग-बिरंगे कपड़े बाजार में मिलतेट हैं। कुछ लोग अपने हाथों से जरी और रेशम आदि लगा कर भगवान कृष्ण के कपड़े बनाते हैं।
3- मोर पंख –
भगवान कृष्ण सिर पर मोर पंख धारण करते है। सिर पर मोर पंख पहनने के लिए छोटी पगड़ी या साफा भी पहनाया जाता है।
4- बांसुरी –
भगवान कृष्ण को बांसुरी बहुत प्रिय है, बांसुरी की तान पर भगवान कृष्ण के साथ गोपियां वृदांवन में रास करती थी। बाजार में सोने, चांदी या कई अन्य तरह की रंग बिरंगी बासुरियां मिलती हैं।
5- कुण्डल-
भगवान कृष्ण के कानों का श्रृगांर करने के लिए मोती या सोने, चांदी के कुण्डल पहनाए जाते हैं।
6- माला –
भगवान कृष्ण को बैजंति की माला प्रिय है, इसके अलावा मोती या रेशम के गोटों से बनी माला भी पहनायी जाती है।
7- पायल या पैजनियां –
कृष्ण जी के बाल रूप को पैरों में घुंघरुओं से बनी पायल या पैंजनियां पहनायी जाती है।
Ritisha Jaiswal
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