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अगले हफ्ते गंगा दशहरा, गीता जयंती और वट सावित्री व्रत जैसे प्रमुख व्रत
ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष जारी है।
इस पक्ष में जल्द ही कई बड़े व्रत-त्योहार आएंगे। जून महीने के दूसरे हफ्ते के अंत से पांच दिनों तक लगातार व्रत त्योहार आएंगे। जिसका विशेष महत्व होता है। सबसे पहले 10 जून का गंगा दशहरा फिर इसके बाद निर्जला एकादशी,फिर गायत्री जयंती का त्योहार मनाया जाएगा। इस दौरान प्रदोष व्रत,जून पूर्णिमा की तिथि पर वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। ज्येष्ठ माह में जल सरंक्षण का विशेष महत्व बताया गया है जिसमें स्नान,दान और तप का बहुत ही महत्व होता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद आषाढ़ का महीना शुरू हो जाएगा।
गंगा दशहरा- 10 जून
गंगा दसहरा का त्योहार इस बार 10 जून को है। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मां गंगा प्रकट हुई थीं इसी कारण से हर वर्ष गंगा दशहरा का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है। गंगा दशहरा पर पवित्र नदियों में स्नान,दान और तप करते हुए पूजा-पाठ किया जाता है। ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन महालक्ष्मी और गजकेसरी राजयोग का शुभ फल भी प्राप्त होगा।
गायत्री जयंती और निर्जला एकादशी
11 जून को गायत्री जयंती और निर्जला एकादशी दोनों पर्व एक साथ मनाएं जाएंगे। मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर ही मां गायत्री प्रगट हुईं थीं। इसी दिन निर्जला एकादशी का व्रत भी रखा जाएगा। निर्जला एकादशी को सभी एकादशी में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। गायत्री जयंती के दिन विधि- विधान से गायत्री माता की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। हिन्दू धार्मिक शास्त्रों में मां गायत्री को वेद माता के नाम से जाना जाता है। मां गायत्री के पांच मुख और दस हाथ हैं। उनके इस रूप में चार मुख चारों वेदों के प्रतीक हैं एवं उनका पांचवां मुख सर्वशक्तिमान शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रदोष व्रत- 12 जून
भगवान भोलनाथ की कृपा पाने का सबसे सरल व्रत प्रदोष माना गया है। इस बार 1
2 जून को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत है। शिव पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी हो जाती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा और व्रत सावित्री व्रत- 14 जून
पूर्णिमा तिथि पर स्नान,ध्यान,तप और दान करने से मोक्ष का प्राप्ति होती है। इसके अलावा ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि पर वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करते हुए भगवान शिव,माता पार्वती की पूजा होती है। सुहागिन महिलाएं इस तिथि पर उपवास रखते हुए देवी सावित्री की पूजा करते हुए पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।