धर्म-अध्यात्म

महाशिवरात्रि : नंदी कैसे बने भगवान शिव के वाहन

Ritisha Jaiswal
22 Feb 2022 1:50 PM GMT
महाशिवरात्रि :  नंदी कैसे बने भगवान शिव के वाहन
x
महाशिवरात्रि आ रही है. इस साल 01 मार्च 2022 दिन मंगलवार को महाशिवरात्रि का पर्व है

महाशिवरात्रि आ रही है. इस साल 01 मार्च 2022 दिन मंगलवार को महाशिवरात्रि का पर्व है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा होती है और उनके सबसे प्रिय भक्त एवं गण नंदी (Nandi) की भी. आपने देखा होगा कि हर शिव मंदिर (Shiva Temple) के बाहर नंदी विराजमान होते हैं. नंदी की भी पूजा की जाती है. कहा तो यह भी जाता है कि नंदी के कान में कोई मनोकामना कहने से वह सीधे भगवान शिव के पास पहुंचती है और पूर्ण हो जाती है. क्या आप जानते हैं कि नंदी कैसे बने भगवान शिव के वाहन? महाशिवरात्रि विशेष की कड़ी में आज आपको इसके बारे में बताते हैं.

नंदी के शिव वाहन बनने की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, शिलाद ऋषि भगवान शिव के परम भक्त थे. अपनी घोर तपस्या से उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था. वंश वृद्धि की इच्छा से उन्होंने शिव जी से एक सुयोग्य और सुंदर पुत्र की कामना की. फलस्वरूप उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई. उन्होंने उस पुत्र का नाम नंदी रखा और उसका अच्छे से पालन-पोषण करने लगे.
शिलाद ऋषि ने नंदी को वेद-पुराण सभी का ज्ञान दिया. नंदी पिता के भक्त और आज्ञाकारी संतान थे. एक दिन शिलाद ऋषि के आश्रम में दो संत पधारे. शिलाद ऋषि और नंदी ने उनका पूरा आदर-सत्कार किया. जब वे जाने लगे तो शिलाद ऋषि को लंबी उम्र का आशीर्वाद दिया, लेकिन नंदी को ये आशीष नहीं दिया.
संतों के इस आचरण शिलाद ऋषि चिंता में पड़ गए और उनसे इसका कारण पूछा, तो उन्होंने बताया कि नंदी अल्पायु है. यह सुनकर शिलाद ऋषि दुखी हो गए. उन्होंने बेटे नंदी को बताया तो नंदी हंसने लगे. नंदी ने कहा कि भगवान शिव ने आपको पुत्र दिया था, वही रक्षा भी करेंगे.
उसके बाद नंदी भुवन नदी के किनारे भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गए. उनकी कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. तब नंदी ने कहा कि हे प्रभु! आप मुझे अपना सानिध्य प्रदान करें. यह जीवन आपके सानिध्य में ही व्यतीत करना चाहता हूं. उनकी भक्ति को देखकर शिव जी ने नंदी को गले लगा लिया और उनको बैल का चेहरा दे दिया. नंदी गणों में शिव के सबसे प्रिय हैं और परम भक्त भी. तब से नंदी भगवान शिव के वाहन बन गए.
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तब विष की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गई थीं. उससे किसी को हानि न हो, इसलिए नंदी ने उन बूंदों को अपनी जीभ से चाट लिया. य​ह देखकर सभी देवतागण हैरान रह गए क्योंकि भोलेनाथ तो भगवान हैं, नंदी ने ऐसा क्यों किया.
तब नंदी ने कहा था कि जब उनके प्रभु ने इस हलाहल का पान किया है, तो वे क्यों नहीं करते. इस बात को सुनकर भगवान शिव अतिप्रसन्न हुए. उनके समर्पण को देखकर शिव जी ने कहा कि उनकी शक्तियां नंदी में भी ​विद्यमान रहेंगी. इस घटना के बाद से नंदी भगवान शिव के और प्रिय हो गए.


Next Story