धर्म-अध्यात्म

कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आती है महाशिवरात्रि, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Khushboo Dhruw
25 Feb 2021 4:32 PM GMT
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आती है महाशिवरात्रि, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
x
भगवान शिव (Shiva) को देवादि देव, महादेव, शंकर, नीलकंठ, भोलेनाथ, शिव-शम्‍भू, महेश और भोले भंडारी जैसे अनेकों नाम से जाना जाता है

भगवान शिव (Shiva) को देवादि देव, महादेव, शंकर, नीलकंठ, भोलेनाथ, शिव-शम्‍भू, महेश और भोले भंडारी जैसे अनेकों नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि तन-मन और पूर्ण श्रद्धा से जो कोई भी भोले भंडारी की आराधना करता है उसे मनवांछित फल मिलता है. वे अपने भक्तों के दुख और परेशानियों को देख नहीं पाते. महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के मौके पर भक्‍त दिन-भर भूखे-प्यासे रहकर शिवलिंग (Shivling) पर जल चढ़ाते हैं और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. हिंदू धर्म में शिवरात्रि का बहुत ज्यादा महत्व है. इस वर्ष महाशिवरात्रि (Mahashivratri) 11 मार्च, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. यह तिथि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आती है. इस दिन शिव योग बन रहा है. साथ ही इस दिन नक्षत्र घनिष्ठा रहेगा और चंद्रमा मकर राशि में विराजमान रहेगा. महाशिवरात्रि के दिन स्वयंभू शिवजी की पूजा की जाती है.

महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021 (बृहस्पतिवार)
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्‍त: 12 मार्च 2021 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक
शिवरात्रि पारण समय: 12 मार्च की सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 2 मिनट तक
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा की जाती है. इस दिन पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. अगर कन्या का विवाह काफी समय न हो रहा हो या किसी भी तरह की बाधा आ रही हो तो उसे महाशिवरात्रि का व्रत करना चाहिए. इस स्थिति के लिए यह व्रत बेहद फलदायी माना गया है. इस व्रत को करने से भगवान शिव का आर्शीवाद का प्राप्त होता है. साथ ही सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.

शिवलिंग पूजा
शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है. शिव का अर्थ है– कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन. सर्जनहार के रूप में लिंग की पूजा होती है. संस्कृत में लिंग का अर्थ है प्रतीक. भगवान शिव अनंत काल के प्रतीक हैं. मान्यताओं के अनुसार, लिंग एक विशाल लौकिक अंडाशय है, जिसका अर्थ है ब्रह्माण्ड. इसे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है.
पूजन सामग्री
महाशिवरात्रि के व्रत से एक दिन पहले ही पूजन सामग्री एकत्रित कर लें, जो इस प्रकार है: शमी के पत्ते, सुगंधित पुष्प, बेल पत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, दक्षिणा, पूजा के बर्तन आदि.

महाशिवरात्रि की पूजन विधि
- महाशिवरात्रि के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और व्रत का संकल्‍प लें.
- इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
- जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले तांबे के एक लोटे में गंगाजल लें. अगर ज्‍यादा गंगाजल न हो तो सादे पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं.
- अब लोटे में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और "ऊं नम: शिवाय" बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
- जल चढ़ाने के बाद चावल, बेलपत्र, सुगंधित पुष्‍प, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्‍ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, मौली, जनेऊ और पंच मिष्‍ठान एक-एक कर चढ़ाएं.
- अब शमी के पत्ते चढ़ाते हुए ये मंत्र बोलें:
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
- शमी के पत्ते चढ़ाने के बाद शिवजी को धूप और दीपक दिखाएं.
- इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें.
- अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से भगवान शिव की आरती उतारें.
- महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखें और फलाहार करें.
- सायंकाल या रात्रिकाल में शिवजी की स्तुति पाठ करें.
- शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करना फलदाई माना जाता है.
- शिवरात्रि का पूजन 'निशीथ काल' में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है. रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है. हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से किसी भी एक प्रहर में सच्‍ची श्रद्धा भाव से शिव पूजन कर सकते हैं.
शिव स्तुति मंत्र
ओम नम: श्म्भ्वायच मयोंभवायच
नम: शंकरायच मयस्करायच
नम: शिवायच शिवतरायच।।
शिव एकादशाक्षरी मंत्र
ओम नम: शिवाय शिवाय नम:


Next Story