धर्म-अध्यात्म

Mahashivratri 2022 : 01 मार्च को है महाशिवरात्रि, महादेव की इस पूजा से पूरी होगी हर मनोकामना

Rani Sahu
27 Feb 2022 10:24 AM GMT
Mahashivratri 2022 : 01 मार्च को है महाशिवरात्रि, महादेव की इस पूजा से पूरी होगी हर मनोकामना
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हिंदू (Hindu) धर्म में भगवान शिव (Lord Shiva) कल्याण के देवता माने जाते हैं

हिंदू (Hindu) धर्म में भगवान शिव (Lord Shiva) कल्याण के देवता माने जाते हैं. पूजा से शीघ्र ही प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान देने वाले भगवान शिव को उनके भक्त देवों के देव महादेव (Mahadev) , औढरदानी, आदि गुरु, भोलेनाथ, शंकर, गंगाधर, नीलकंठ, बाबा आदि नाम से बुलाते हैं. शिव की साधना का सबसे बड़ा महापर्व महाशिवरात्रि (Mahashivratri) को माना गया है, जो कि इस साल 01 मार्च 2022 को मनाई जाएगी. भगवान शिव की कृपा दिलाने वाले इस पावन पर्व पर साधक विभिन्न प्रकार की पूजा के माध्यम से देवों के देव महादेव को मनाने और अपनी मनोकामना को पूरा करने का आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं.

महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व
पंचांग के अनुसार चंद्रमास का का चौदहवां दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है और यह शिवरात्रि जब फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दर्शी को पड़ती है तो वह महाशिवरात्रि कहलाती है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पुण्यदायी और फलदायी माना गया है. मान्यता है कि भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन ही अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए थे. यही कारण है कि यह महापर्व पूरे भारतवर्ष में पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के महापर्व को कोई महादेव के के विवाह के उत्सव के रूप में तो कोई भगवान शिव द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में भी मनाते हैं.
महाशिवरात्रि की पूजा की सरल विधि
भगवान शिव के महापर्व पर महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर इस महाव्रत को सच्चे मन से करने का संकल्प लें. इसके बाद शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं और उसके बाद आठ लोटे केसरयुक्त जल चढ़ाएं. भगवान शिव की पूजा करते समय उनके पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप मन में करते जाएं. इसके बाद भगवान शिव को चंदन, भभूत आदि का तिलक लगाकर बेलपत्र, शमीपत्र, भांग, धतूरा, फल, फूल, मिष्ठान, पान, सुपाड़ी, इलायची, लौंग, इत्र एवं कुछ दक्षिणा जरूर चढ़ाएं. अंत में भगवान शिव को केसर युक्त खीर का भोग लगा कर अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद के रूप में बांटें और अंत में स्वयं भी ग्रहण करें.
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का फल
भगवान शिव के महापर्व पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. दरअसल, रुद्राभिषेक दो शब्दों रुद्र और अभिषेक से मिलकर बना है. इसमें रुद्र शब्द का अर्थ भगवान शिव है. यानि शिव का अभिषेक, जिसे विधि-विधान से करने पर जीवन से जुड़े सभी दोष, रोग, शोक दूर होते हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है. शास्त्रों में अलग-अलग चीजों से रुद्राभिषेक का अलग-अलग महत्व बताया गया है. जैसे घी से से वंश का विस्तार, भांग से उत्तम स्वास्थ्य, गंगाजल से सभी दु:खों और दोषों से मुक्ति, गन्ने के रस से सुख-संपत्ति की प्राप्ति, दूध से सुख-शांति, शहद से परीक्षा-प्रतियोगिता में सफलता और सुखी दांपत्य जीवन की प्राप्ति और भस्म से रुद्राभिषेक करने पर शत्रुओं पर विजय आदि का आशीर्वाद मिलता है.
Rani Sahu

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