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महालक्ष्मी व्रत कल से शुरू, जानें अगले 16 दिन तक होगा धन लाभ

Subhi
3 Sep 2022 4:57 AM GMT
महालक्ष्मी व्रत कल से शुरू, जानें अगले 16 दिन तक होगा धन लाभ
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गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद यानी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो जाती है। 16 दिनों तक चलने वाला ये व्रत 4 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर को होगा।

गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद यानी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो जाती है। 16 दिनों तक चलने वाला ये व्रत 4 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर को होगा। वेद- शास्त्रों के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत काफी महत्व माना जाता है। इन 16 दिनों में मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करके जीवन में आने वाली हर समस्या से छुटकारा पाया जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए महालक्ष्मी व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

महालक्ष्मी व्रत 2022 की तिथि और शुभ मुहूर्त

महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष से शुरू होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक रखा जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं राधा अष्टमी यानी 3 सितंबर से व्रत को आरंभ करेगी। अष्टमी तिथि 3 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 4 सितंबर सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक रहेगी।

चंद्रोदय का समय- दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक

महालक्ष्मी पूर्ण तिथि- 17 सितंबर 2022

महालक्ष्मी व्रत 2022 का महत्व

हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का काफी अधिक महत्व है। इन 16 दिनों में मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने का विधान है। इस पवित्र व्रत की महिमा भगवान श्रीकृष्ण ने पांडव भाइयों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को बताई थी। इस महालक्ष्मी व्रत की महानता 'भविष्य पुराण' जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित है।

पवित्र व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू होता है जिसे राधा अष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन देवी राधा का जन्म हुआ था।

महालक्ष्मी व्रत पूजन सामग्री

एक थाली में रोली, गुलाल, अबीर, अक्षत, कलावा, मेहंदी, हल्दी, टीकी, लौंग, इलायची, बादाम, पान, सुपारी, बिछिया, वस्त्र, फूल, दूब, अगरबत्ती, कपूर, इत्र, मौसम का फल-फूल, पंचामृत, मावे का प्रसाद, सोलह श्रृंगार आदि रख लें।

महालक्ष्मी व्रत 2022 का पूजन विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।

अब एक चौकी में महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।

स्थापना के बाद पंचामृत से स्नान कराएं।

इसके बाद सिंदूर, कुमकुम आदि लगाएं।

फूल, माला के साथ सोलह श्रृंगार चढ़ाएं।

एक पान में लौंग, बताशा, 1 रुपए, छोटी इलायची रखकर चढ़ा दें।

भोग में मिठाई आदि चढ़ा दें।

इसके बाद जल अर्पित करके धूप और दीपक जला लें।

अब महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करें।

अंत में विधिवत आरती कर लें।


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