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धर्म-अध्यात्म
कल से शुरु हो रहा 16 दिनों का महालक्ष्मी व्रत, करोड़पति बनने का है सुनहरा मौका
Tara Tandi
21 Sep 2023 8:15 AM GMT
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सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन 16 दिनों तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि धन, ऐश्वर्य और सुख समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित होता है इस दौरान भक्त विधिवत माता की आराधना व पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि महालक्ष्मी व्रत के दौरान पूजा पाठ और उपवास करने से देवी मां की असीम कृपा प्राप्त होती है।
पंचांग के अनुसार 16 दिनों के महालक्ष्मी व्रत का आरंभ हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है तो वही समापन अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर हो जाता है इस बार महालक्ष्मी का व्रत कल यानी 22 सितंबर दिन शुक्रवार से आरंभ होने जा रहा है जो कि माता लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने का सुनहरा मौका है। इस व्रत का समापन 6 अक्टूबर को हो जाएगा। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा 16 दिनों तक चलने वाले व्रत पूजन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त—
धार्मिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 22 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है। तो वही इस तिथि का समापन 23 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर हो जाएगा। 16 दिनों के महालक्ष्मी व्रत का आरंभ 22 सितंबर से हो रहा है तो वही समापन 6 अक्टूबर को हो जाएगा। इस व्रत की कुल अवधि 15 दिनों की है। प्रथम दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 40 मिनट से सुबह 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से 1 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा रात्रि पूजा का मुहूर्त रात 9 बजकर 16 मिनट से 10 बजकर 45 मिनट तक होने वाला है।
महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि—
16 दिनों तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत माता लक्ष्मी की साधना को समर्पित होता है जिसे महिला और पुरुष कोई भी कर सकता है। इस व्रत को करने से धन, सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद घर की साफ सफाई कर रंगोली बनाएं। स्नान के बाद नए वस्त्रों को धारण कर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को प्रणाम कर व्रत का संकल्प करें।
पूजन स्थल पर लक्ष्मी प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरु करें। घटी पर चावल और पानी से भरा घड़ा भी स्थापित करें। फिर इसे आम और पान के पत्तों से ढक दें। सबसे पहले गणेश पूजा करें उसके बाद माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। इसके साथ ही लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम का जाप करें। अब देवी को दूध से बनी खीर का भोग लगाएं और उनकी आरती करें इसके बाद भूल चूक के लिए क्षमा मांगे।
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