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Mahabharata Kathat: जानिए कौन था शिशुपाल और क्यों करना पड़ा था भगवान श्रीकृष्ण को उसका वध ,पढ़े उसके जन्म से जुड़ी कहानी

Nilmani Pal
14 Oct 2020 10:41 AM GMT
Mahabharata Kathat: जानिए कौन था शिशुपाल और क्यों करना पड़ा था  भगवान श्रीकृष्ण को उसका वध ,पढ़े उसके जन्म से जुड़ी कहानी
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महाभारत की कथा में शिशुपाल का वर्णन मिलता है. शिशुपाल का वध भगवान श्रीकृष्ण ने किया था
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महाभारत की कथा श्रीकृष्ण और शिशुपाल वध के प्रसंग बिना अधूरी है. शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण की बुआ का पुत्र था और रिश्ते में कौरवों तथा पांडवों का भाई था. यह बात जानने योग्य है कि इतना करीबी होने के बाद भी भगवान श्रीकृष्ण को आखिर शिशुपाल का वध करने की क्या आश्यकता पड़ गई. इसका उत्तर जानने के लिए सबसे पहले शिशुपाल की जन्म की कहानी को जानना पड़ेगा.



शिशुपाल के जन्म के समय थीं तीन आंख और चार हाथ

शिशुपाल वासुदेव की बहन और छेदी के राजा दमघोष का पुत्र था. इस तरह से वह श्रीकृष्ण का भाई था. शिशुपाल का जन्म जब हुआ तो वह विचित्र था. जन्म के समय शिशुपाल की तीन आंख और चार हाथ थे. शिशुपाल के इस रूप को देखकर माता पिता चिंता में पड़ गए और शिशुपाल को त्यागने का फैसला किया. लेकिन तभी आकाशवाणी हुई कि बच्चे का त्याग न करें, जब सही समय आएगा तो इस बच्चे की अतिरिक्त आंख और हाथ गायब हो जाएंगे. लेकिन इसके साथ ही यह भी आकाशवाणी हुई कि जिस व्यक्ति की गोद में बैठने के बाद इस बच्चे की आंख और हाथ गायब होंगे वही व्यक्ति इसका काल बनेगा.


श्रीकृष्ण ने बुआ के सामने रखी ये शर्त

एक दिन भगवान श्रीकृष्ण अपनी बुआ के घर आए. वहां शिशुपाल भी खेल रहा था. श्रीकृष्ण के मन शिशुपाल को देखकर स्नेह जागा तो उन्होंने उसे गोद में उठा लिया. गोद में उठाते ही शिशुपाल की अतिरिक्त आंख और हाथ गायब हो गए. यह देख शिशुपाल के माता पिता को आकाशवाणी याद आ गयी और वे बहुत भयभीत हो गए. तब श्रीकृष्ण की बुआ ने एक वचन लिया. भगवान अपनी बुआ को दुख नहीं देना चाहते थे, लेकिन विधि के विधान को वे टाल भी नहीं सकते थे. इसलिए उन्होंने अपनी बुआ से कहा कि वे शिशुपाल की 100 गलतियों को माफ कर देंगे लेकिन 101 वीं गलती पर उसे दंड देना ही पड़ेगा.


शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था

शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था. लेकिन रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं और उनसे ही विवाह करना चाहती थीं. लेकिन रुक्मणी के भाई राजकुमार रुक्मी को रिश्ता मंजूर नहीं था. तब भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी को महल से लेकर आ गए थे. इसी बात से शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण को शत्रु मानने लगा था. इसी शत्रुता के कारण जब युधिष्ठिर को युवराज घोषित किया और राजसूय यज्ञ का आयोजन किया गया तो सभी रिश्तेदारों और प्रतापी राजाओं को भी बुलाया गया. इस मौके पर वासुदेव, श्रीकृष्ण और शिशुपाल को भी आमंत्रित किए गया था.


यहीं पर शिशुपाल का सामना भगवान श्रीकृष्ण से हो जाता है. भगवान श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर आदर सत्कार करते हैं. यह बात शिशुपाल को पसंद नहीं आई और सभी के सामने भगवान श्रीकृष्ण को बुरा भला कहने लगा. भगवान श्रीकृष्ण शांत मन से आयोजन को देखने लगे लेकिन शिशुपाल लगातार अपमान करने लगा, उन्हें अपशब्द बोलने लगा. श्रीकृष्ण वचन से बंधे इसलिए वे शिशुपाल की गलतियों को सहन करते रहे. लेकिन जैसे ही शिशुपाल ने सौ अपशब्द पूर्ण किये और 101 वां अपशब्द कहा, श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र को आदेश दिया. एक पल में ही शिशुपाल की गर्दन धड़ से अलग कर दी. इस प्रकार से श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध कर दिया.

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