- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- Mahabharata Gatha : 3...
Mahabharata Gatha : 3 शाप जो कर्ण के लिए बन गए थे प्राणघातक
महावीर कर्ण के बिना महाभारत युद्ध की कल्पना भी नहीं की जा सकती। साथ ही इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कौरवों के सेनापति कर्ण अपने प्रतिद्वंदी अर्जुन से भी बड़े धनुर्धर थे, जिसकी तारीफ स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। कर्ण न केवल एक शक्तिशाली योद्धा थे बल्कि बहुत बड़े दानवीर भी माने जाते थे। जिन्होंने बिना युद्ध का परिणाम सोचे अपने कवच-कुंडल दान में दे दिए। कर्ण जन्म से क्षत्रिय थे लेकिन वह रथ चालक के घर पलकर बड़े हुए थे, जिससे उनका एक नाम सूत पुत्र भी पड़ा। उनकी वीरता को देखते हुए दुर्योधन ने उनको अंगदेश का राज सिंहासन दे दिया और जरासंध के हारने के बाद चंपा नगरी का भी राजा बना दिया। लेकिन इस महान योद्धा का जीवन किसी तपस्या से कम नहीं था। इन्हें कई ऐसे कर्मों का परिणाम भी भोगना पड़ा जिसमें इनकी कोई गलती नहीं थी। अनजाने किए काम और दूसरों की भलाई के चक्कर में इन्हें 3 ऐसे शाप मिल गए जो इनके लिए प्राणघातक साबित हुए, इन्हीं 3 शापों की वजह से महाभारत के निर्णायक युद्ध में इन्हें अर्जुन के हाथों वीरगति प्राप्त हुई।