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देशभर में श्रद्धा और आदर के साथ नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है और मंदिरों में कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ पूर्जा-अर्चना की जा रही है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | देशभर में श्रद्धा और आदर के साथ नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है और मंदिरों में कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ पूर्जा-अर्चना की जा रही है. लेकिन लोगों के बीच अष्टमी को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन है कि आखिर महाअष्टमी कल मनाई जाएगी या फिर परसों. चलिए हम पहले ही आपका ये कन्फ्यूजन दूर कर देते हैं.
कब है महाअष्टमी?
दरअसल नवमी से एक दिन पहले अष्टमी मनाई जाती है और नवमी के साथ नवरात्रि का समापन होता है. इसके बाद दशहरा आता है जिसे रावण वध के तौर पर पूजा पंडालों में मनाया जाता है. इस बार नवरात्रि आठ दिन की है और ऐसे में 13 अक्टूबर यानी बुधवार को अष्टमी मनाई जाएगी. अष्टमी को कन्या पूजन करने वाले लोग सप्तमी को व्रत रखते हैं जबकि नवमी को कन्या पूजन करने वाले लोग अष्टमी का व्रत रखते हैं.पूरे नवरात्रि में अष्टमी और नवमी का खास महत्व माना जाता है क्योंकि इन तिथियों पर लोग मंदिरों या अपने घरों में विशेष पूजा और कन्या पूजन का आयोजन करते हैं. पूजा से पहले आप शुभ मुहूर्त और विधि भी जान लीजिए ताकि पूरे श्रद्धा भाव के साथ मां दुर्गा की अर्चना कर सकें. इसके अलावा अष्टमी पर हवन का भी खास महत्व होता है.
हवन के लिए शुभ मुहूर्त
अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. महाअष्टमी को एक विशेष समयकाल और मुहूर्त में पूजा की जाती है जिसे संधि पूजा कहा जाता है. इसका मतलब है कि जब अष्टमी समापन की ओर हो और नवमी शुरू होने वाली हो, उस दौरान पूजा करना शुभ माना जाता है. दोनों के बीच करीब 48 मिनट का अवधि रहती है. हवन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07:42 से 08.07 के बीच का रहेगा.
कैसे करना चाहिए हवन
महागौरी की पूजा के लिए हवन करने से पहले कुंड को अच्छे से साफ कर लें और उसका लेप कर लें. इसके अलावा वेदी की गंगा जल से सफाई करें. हवन की शुरुआत में ही अग्नि पूजन भी जरूरी होता है और इसके साथ आपको नवग्रह के नाम या फिर मंत्र जाप के साथ आहुति देनी चाहिए. सबसे पहले श्रीगणेश की आहुति शुभ मानी जाती है. हवन में फूल, सुपारी, पान, छोटी इलायची और लौंग के साथ शहद और कमल गट्टा की आहुति भी शुभ मानी जाती है. हवन कुंड में 5 बार घी की आहुति देना भी जरूरी है.
Ritisha Jaiswal
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