धर्म-अध्यात्म

तुलसी विवाह के बाद ये काम करने से प्रसन्न होती हैं मां लक्ष्मी

Subhi
4 Nov 2022 3:16 AM GMT
तुलसी विवाह के बाद ये काम करने से प्रसन्न होती हैं मां लक्ष्मी
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तुलसी विवाह हर साल कार्तिक शुक्ल की एकादशी तिथि को किया जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल तुलसी विवाह 5 नवंबर के दिन किया जाएगा. इस बार देवउठनी एकादशी 4 नवंबर और तुलसी विवाह 5 नवंबर के दिन किया जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु के विग्रह रूप शालीग्राम के साथ तुलसी जी का विवाह किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार आज के दिन तुलसी विवाह कराने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है.

हिंदू धर्म में तुलसी का पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि तुलसी पूजा बेहद लाभकारी मानी गई है. मां तुलसी आपकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य रहने का वरदान देते हैं. मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए तुलसी विवाह के पूजन के बाद तुलसी आरती और मंत्र जाप करने से ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. और मां प्रसन्न होकर सभी इच्छाएं पूर्ण करने का वरदान देती हैं.

तुलसी माता का स्तुति मंत्र

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

मां तुलसी का पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी माता की आरती

जय जय तुलसी माता

सब जग की सुख दाता, वर दाता

जय जय तुलसी माता ।।

सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर

रुज से रक्षा करके भव त्राता

जय जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या

विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता

जय जय तुलसी माता ।।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित

पतित जनो की तारिणी विख्याता

जय जय तुलसी माता ।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में

मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता

जय जय तुलसी माता ।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी

प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता

जय जय तुलसी माता ।।

तुलसी माता का ध्यान मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।


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