धर्म-अध्यात्म

मां दुर्गा करती हैं सिंह की सवारी, जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा

Bhumika Sahu
5 Oct 2021 2:10 AM GMT
मां दुर्गा करती हैं सिंह की सवारी, जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा
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नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. वैसे तो मां दुर्गा के विभिन्न रूप हैं और उन स्वरूपों की अलग सवारी है. लेकिन क्या आप जानते हैं शेर कैसे बना मां दुर्गा की सवारी.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में सभी देवी- देवताओं का अपना महत्व है. प्रत्येक देवी- देवताओं की तस्वीर के साथ उनका वाहन दर्शाया जाता है और पौराणिक ग्रंथों में इससे जुड़ी कई कथाएं भी प्रचलित होती है. शरदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) को शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं. इस बार नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021 से शुरू हो रही हैं जो 14 अक्टूबर को समाप्त होगा. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. हर स्वरूप का अपना महत्व और कथा है. मां दुर्गा तेज, शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक हैं उनकी सवारी शेर हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं कि क्यों माता दुर्गा शेर की सवारी करती हैं. आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में.

पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठिन तपस्या की है. एक दिन भगवान शिव ने माता पार्वती से मजाक में काली कह दिया था जिससे नाराज होकर माता पार्वती कैलाश छोड़ कर तपस्या करने चली गई. इसके बाद एक भूखा शेर माता पार्वती को अपना भोजन बनाने के लिए उनके पीछे आया, लेकिन उन्हें तपस्या में देखकर वहीं भूखा – प्यासा इंतजार करने लगा.
शेर माता पार्वती को आहार बनाने के लिए उनकी आंखें खुलने के इंतजार में भूखा- प्यासा कई वर्षों तक बैठा रहा. पार्वती की तपस्या पूरी होने के बाद भगवान शिव प्रकट हुए और माता पार्वती को गौरवर्ण यानी गौरी होने का वरदान दिया. इसके बाद माता पार्वती गंगा स्नान के लिए गई तो इनके शरीर से एक सांवली लड़की प्रकट हुईं जो कौशिकी या गौरवर्ण होने के बाद माता गौरी कहलाने लगीं.
सिंह को मिला तपस्या का फल
माता पार्वती ने शेर को भूखे- प्यासे बैठे देखकर उसकी तपस्या से प्रसन्न हो गई और उसे वरदान स्वरूप अपना वाहन बना लिया और तब से मां पार्वती का वाहन शेर बन गया.
दूसरी कथा के अनुसार
स्कंद पुराण की कथा के अनुसार, भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने देवासुर संग्राम में दानव तारक और उसके दो भाई सिंहमुखम और सुरापदनम को पराजित किया. सिंहमुखम ने कार्तिकेय से माफी मांगी जिससे प्रसन्न होकर उसे शेर बना दिया और मां दुर्गा का वाहन बनने का आशीर्वाद दिया.


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