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4 माह बाद आज जागेंगे भगवान विष्णु, जानिए क्यों जरूरी है सूप और गन्ना...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिंदू धर्म में देव उठनी एकादशी का बड़ा महत्व है. देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. इसे हरिप्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. माना जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल की एकादशी को निद्रा से जागते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है और शुभ काम शुरू किए जाते हैं.
देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है. इस दिन सूप और गन्ने का खास महत्व होता है. इस एकादशी से ही किसान अपनी फसलों की कटाई करते हैं. कटाई से पहले गन्ने की विधिवत पूजा की जाती है और इसे विष्णु भगवान को चढ़ाया जाता है. भगवान विष्णु को अर्पित करने के बाद गन्ने को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.
देव उठनी एकादशी में सूप पीटने की परंपरा होती है. कादशी के दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं. महिलाएं उनके घर में आने की कामना करती हैं और सूप पीटकर दरिद्रता भगाती हैं. आज भी यह परंपरा कायम है. देवउठनी एकादशी के दिन धूमधाम से तुलसी विवाह होता है. तुलसी जी को विष्णु प्रिया भी कहा जाता है, इसलिए देव जब उठते हैं तो हरिवल्लभा तुलसी की प्रार्थना ही सुनते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से की जाती है.