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प्रभु श्री राम ने पृथ्वी से राक्षसों के समूल नाश की प्रतिज्ञा की, अगस्त्य मुनि के शिष्य तो दौड़ते हुए प्रभु के दर्शन करने
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Ramayan Story of Burning of Sharbhang Rishi: वनवास के दौरान प्रभु श्री राम अत्रि मुनि के आश्रम पहुंचे तो उन्होंने श्री राम और लक्ष्मण तथा उनकी पत्नी अनुसूया जी ने सीता जी को नीति ज्ञान दिया. उनसे विदा लेने के बाद वे आगे चले तो विराध राक्षस ने उनका रास्ता रोक दिया. इस पर श्री राम ने एक ही बाण से उसका वध कर उसके आग्रह पर उसे परमधाम पहुंचा दिया. आगे चलने पर उन्हें शरभंग मुनि के आश्रम मिला तो उनसे आशीर्वाद लेने पहुंच गए. शरभंग ऋषि प्रभु श्री राम को देख कर प्रेम से रोने लगे कि जिसका लंबे समय से इंतजार कर रहे थे, वह श्री रघुनाथ आज स्वयं ही उनके आश्रम में पधारे हैं. इसके बाद ऋषि ने कहा कि वह तो ब्रह्मलोक जा रहे थे तभी जानकारी मिली कि श्री राम वन में आएंगे, उन्होंने आगे कहा कि यहां पर आकर आपने कोई उपकार नहीं किया है बल्कि अपने प्रण की रक्षा की है. मुनि श्री ने योग, यज्ञ, जप और तप आदि देते हुए प्रभु श्री राम से उनकी भक्ति का वरदान लिया और सब प्रकार की आसक्ति छोड़ चिता बना उस पर बैठ गए. उन्होंने श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण जी को प्रणाम करते हुए योगाग्नि से अपने को जला लिया.