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धर्म-अध्यात्म
हर मंदिर के ऊपर में रहता है भगवान शिव त्रिशूल, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
Deepa Sahu
22 July 2021 9:40 AM GMT
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भगवान शिव का प्रिय अस्त्र त्रिशूल त्रिगुणमयी सृष्टि का परिचायक है।
भगवान शिव का प्रिय अस्त्र त्रिशूल त्रिगुणमयी सृष्टि का परिचायक है और भोलेनाथ हमेशा इसे अपने हाथ में रखते हैं। भगवान शिव के अलावा त्रिशूल को आपने ज्यादातर मंदिरों के ऊपर देखा होगा, जिससे उसकी महत्ता का पता चलता है। लेकिन कभी सोचा है कि आखिर मंदिरों के ऊपर त्रिशूल क्यों होता है और इसकी वजह क्या है। मंदिर के ऊपर त्रिशूल लगाने के पीछे न केवल धार्मिक वजह है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी बताया गया है।
तड़ित चालक का काम करता है त्रिशूल
मंदिरों के ऊपर त्रिशूल लोग इसलिए लगाते हैं कि उनकी मान्यता है कि ऐसा करने से ईश्वर की कृपा रहेगी और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलेगी लेकिन इसका धर्म से ज्यादा वैज्ञानिक कारण है। दरअसल आमतौर पर मंदिर आसपास के घरों से ऊंचे होते हैं इसलिए इन पर आकाशीय बिजली गिरने की आशंका भी ज्यादा रहती है। मंदिरों के ऊपर गुंबद पर त्रिशूल तड़ित चालक का काम करते हैं, जो आकाशीय बिजली को अपनी ओर आकर्षित करके जमीन तक ले आते हैं, इससे बिजली शून्य हो जाती है। जिससे यह मंदिर और आसपास के मकानों को क्षति होने से बचाता है।
बिजली को जमीन तक ले आता है त्रिशूल
त्रिशूल नुकीला होता है, जो कंडक्टर का काम करता है। इससे वह आकाशीय बिजली को अवशोषित कर लेते हैं। तांबे का तार गुंबद के त्रिशूल से जुड़ा हुआ रहने के कारण वह आकाशीय बिजली को जमीन तक लाने में सक्षम रहता है। दरअसल आकाशीय बिजली इतनी खतरनाक होती है कि वह बड़ी से बड़ी बिल्डिंगों को ध्वस्त कर सकती है। इसलिए तड़ित चालक का प्रयोग बड़े शहरों में ऊंची इमारतों को बिजली से बचाने के लिए भी करते हैं।
त्रिशूल का महत्व
भगवान शिव के हाथों में शोमा पाने वाला त्रिशूल तीन गुण सत्व, रज और तम का परिचायक है। इन तीनों के बीच सामंजस्य बनाए बगैर सृष्टि का संचालन करना बहुत मुश्किल है। इसलिए भगवान शिव ने त्रिशूल के रूप में इन तीनों गुणों को अपने हाथों में ले लिया है। यह त्रिदेवों का सूचक भी है, जो भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश अर्थात रचनाकार, पालनहार और विनाशक के रूप को भी दर्शाता है। भगवान शिव के अलावा मां दुर्गा के हाथ में भी त्रिशूल पाया जाता है।
सावन में त्रिशूल पूजा
त्रिशूल आध्यात्मिक जीवन के तीन मूल आयाम – इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी को साधने का काम करता है। सावन में अगर कोई विधि-विधान से त्रिशूल की पूजा करता है, उसके जीवन में कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती, इस तरह की मान्यताएं हैं। बहुत से लोग अपने घरों की छत पर भी त्रिशूल लगाते हैं। ऐसा करने से घर-परिवार में न केवल सुख-शांति बनी रहती हैं बल्कि नकारात्मक शक्तियां भी प्रवेश नहीं करतीं। साथ ही भगवान शिव की भी सदैव कृपा बनी रहती है। इसके अलावा वह घर को आकाशीय बिजली से भी बचाता है।
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