धर्म-अध्यात्म

नर्मदा नदी के तट पर स्थित है भगवान ओंकारेश्वर, जानें इनके रोचक तथ्य

Apurva Srivastav
14 March 2021 1:51 PM GMT
नर्मदा नदी के तट पर स्थित है भगवान ओंकारेश्वर, जानें इनके रोचक तथ्य
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भगवान भोलेनाथ का तो वैसे हर जगह ही वास है लेकिन 12 ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं जिनके दर्शन मात्र से ही आपके सारे पाप धुल जाते हैं

भगवान भोलेनाथ का तो वैसे हर जगह ही वास है लेकिन 12 ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं जिनके दर्शन मात्र से ही आपके सारे पाप धुल जाते हैं और आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. आज की चौथी कड़ी में हम बात करने वाले हैं भगवान शंकर के चौथे ज्योतिर्लिंग की, जो ओंकारेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. ये धाम मध्य प्रदेश की मोक्ष दायिनी कही जाने वाली नर्मदा नदी के तट पर स्थित है.

यहां विराजित ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु नर्मदा पर बने पुल के माध्यम से उस पार जाना होता है. नर्मदा नदी के बीच मन्धाता और शिवपुर नामक द्वीप पर ओंकारेश्वर का पवित्र धाम बना हुआ है. बताया जाता है कि जब भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग यहां विराजमान हुआ था तब नर्मदा नदी यहां स्वयं प्रकट हुई थीं. ऐसी आस्था है कि भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु पहले नर्मदा में डुबकी लगानी पड़ती है, जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं.

राजा मान्धाता की तपस्या से यहां प्रसन्न हुए थे भगवान शिव
ओंकारेश्वर पवित्र धाम को लेकर कई प्रकार की कथाएं प्रचलित हैं. बताया जाता है कि ओंकारेश्वर धाम मन्धाता द्वीप पर स्थित है. मन्धाता द्वीप के राजा मान्धाता ने यहां पर्वत पर घोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए तब राजा ने वरदान स्वरूप यहीं निवास करने का वरदान मांगा.जिसके बाद राजा के वचन अनुसार यहां पवित्र ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव विराजमान हुए और राजा के राज्य में रहने वाली हर जनता की सुरक्षा और रक्षा भगवान शिव स्वयं करते रहे. प्राचीन कथाओं के अनुसार, ओंकारेश्वर को तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के नाम से भी प्राचीन समय में जाना जाता था.

इसलिए इस तीर्थ का नाम है ओंकारेश्वर
राजा मान्धाता ने अपनी प्रजा के हित और मोक्ष के लिए तपस्या कर भगवान शिव से यहीं विराजमान होने का वरदान मांगा था, जिसके बाद से यहां पहाड़ी पर ओंकारेश्वर तीर्थ ॐ के आकार में बना हुआ है. ॐ शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ और वेद का पाठ उच्चारण किए बिना नही होता हैं. इसलिए इस तीर्थ का नाम ओंकारेश्वर है. आस्था है कि ॐ आकार से बने तीर्थ की परिक्रमा करने पर अत्यंत लाभदायक फल और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

नर्मदा नदी का दर्शन देता है मनचाहा फल
ओंकारेश्वर को लेकर कई मान्यताएं हैं जो इस तीर्थ के प्रति एक नई आस्था को हर दिन मनुष्य में उतपन्न करती हैं. कहा जाता है कि यहां पर 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है और नर्मदा नदी मोक्ष दायिनी हैं. 12 ज्योतिर्लिंग में ओंकारेश्वर का पवित्र ज्योतिर्लिंग भी शामिल है.
शास्त्रों में मान्यता है कि जब तक तीर्थ यात्री ओंकारेश्वर के दर्शन कर यहां नर्मदा सहित अन्य नदी का जल नही चढ़ाते हैं तब तक उनकी यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है. यहां पर नर्मदा नदी में लगातार 7 दिन तक सूर्य उदय से समय स्नान कर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से रोग, कष्ट दूर होकर मनचाहा फल और मोक्ष की प्राप्ति होती है.


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