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धर्म-अध्यात्म
भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र इस दिन सूर्यदेव की पूजा करके हुए थे रोगमुक्त
Gulabi
17 Feb 2021 3:58 PM GMT
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माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य देव की उपासना का दिन रथ सप्तमी मनाई जाती है
माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य देव की उपासना का दिन रथ सप्तमी मनाई जाती है. इस बार रथ सप्तमी 2021 (Ratha Saptami 2021) 19 फरवरी को पड़ रही है. माना जाता है कि इस दिन ही सूर्यदेव का जन्म हुआ था, इसलिए रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव की आराधना की जाती है. रथ सप्तमी को अचला सप्तमी (Achala Saptami) , पुत्र सप्तमी (Putra Saptami) और आरोग्य सप्तमी (Arogya Saptami) के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति रोग मुक्त होता है और निःसंतान दंपति को यशस्वी संतान की प्राप्ति होती है. यदि आप भी काफी बीमार रहते हैं, या खुद को निरोगी बनाए रखना चाहते हैं तो रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा के बाद भगवान कृष्ण के पुत्र शाम्ब की पौराणिक कथा जरूर पढ़ें.
ये है कथा
एक बार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल पर बहुत अभिमान हो गया. वो कभी भी किसी का भी अपमान करने से गुरेज नहीं करता था. एक दिन दुर्वासा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए, तो काफी दुर्बल नजर आ रहे थे. शाम्ब ने उन्हें देखकर मजाक बनाना शुरू कर दिया और उनका अपमान भी किया. शाम्ब के इस व्यवहार से क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने शाम्ब को कुष्ठ होने का श्राप दे दिया. तब शाम्ब की स्थिति देखकर भगसान श्रीकृष्ण ने उसे रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव की उपासना करने के लिए कहा. पिता की आज्ञा मानकर शाम्ब ने भगवान सूर्य की आराधना की. कुछ समय बाद वो रोगमुक्त हो गया.
तब से लोगों के बीच रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव की आराधना का चलन प्रारंभ हो गया. मान्यता है कि ऐसा करने से कुंडली में सूर्य से संबन्धित दोष खत्म होते हैं. व्यक्ति रोग मुक्त होता है और जीवन में धन, वैभव और संतान से संबन्धित समस्याएं नहीं होतीं.
ऐसे करें पूजन
सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि करें और सूर्य को तांबे के कलश से अर्घ्य दें. इसके बाद घर के बाहर या बीच में सात रंगों की रंगोली या चौक बनाएं. चौक के बीचांबीच चार मुख वाला दीपक रखकर प्रज्जवलित करें. लाल रंग का फूल, रोली, अक्षत, दक्षिणा, गुड़ चना आदि अर्पित करें. गायत्री मंत्र या सूर्य मंत्र का जाप करें. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. इसके बाद गेंहू, गुड़, तिल, लाल कपड़ा और तांबे का बर्तन किसी गरीब को दान करें.
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