धर्म-अध्यात्म

भगवान कृष्ण ने फूलेरा दूज से खेली थी होली, जानिए धार्मिक महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

Deepa Sahu
19 Feb 2022 1:44 PM GMT
भगवान कृष्ण ने फूलेरा दूज से खेली थी होली, जानिए धार्मिक महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि
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फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर फुलेरा/फुलैरा दूज का त्योहार मनाया जाता है।

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर फुलेरा/फुलैरा दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 4 मार्च दिन शुक्रवार को है। इस त्योहार को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है। क्योंकि यह दिन किसी भी तरह के हानिकारक प्रभावों और दोषों से प्रभावित नहीं होता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे अबूझ मुहूर्त माना गया है, अत: इस दिन बिना मुहूर्त देखे ही सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य को करना लाभदायी माना जाता है। इस बार फूलेरा दूज पर 'शुभ' नामक योग का निमार्ण हो रहा है, जो मांगलिक कार्यों के लिए अति मंगलकारी माना जाता है। उत्तर भारत के राज्यों में, ज्यादातर शादी समारोह फुलेरा/फुलैरा दूज की पूर्व संध्या पर होते हैं। लोग आमतौर पर इस दिन को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे समृद्ध पाते हैं।


दोष मुक्त तिथि है फूलेरा दूज
फूलेरा दूज होली के पहले मनाया जाता है और ब्रज क्षेत्र में बहुत ही उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। फुलेरा/फुलैरा दूज का त्योहार वसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन में मनाया जाता हैं। यह दिन पूरी तरह दोषमुक्त दिन है। इस दिन का हर क्षण शुभ होता है। इसलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती। मान्यता के अनुसार यह दिन शुभ विवाह, मकान, प्लॉट और संपत्ति की खरीद इत्यादि सभी प्रकार के शुभ कार्यों को करने के लिए दिन अत्यधिक पवित्र है। इस दिन शुभ मुहूर्त पर विचार करने या विशेष शुभ मुहूर्त को जानने के लिए पंडित से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है।
फुलेरा/फुलैरा दूज का महत्व
फुलेरा/ फुलैरा दूज मुख्य रूप से वसंत ऋतु से जुड़ा त्योहार है। वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों को अच्छा बनाने के लिए इसे मनाया जाता है। यह तिथि अबूझ मुहूर्त भी मानी जाती है और इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इस दिन मुख्य रूप से श्री राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है। वहीं जिन जातकों की कुंडली में प्रेम का अभाव हो, उन्हें इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। साथ ही वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए भी इस दिन पूजा की जाती है।

फूलेरा दूज तिथि एवं मुहूर्त
फाल्गुन मास की शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारंभ गुरुवार, 3 मार्च, 2022 को रात 09:36 मिनट से हो रहा है तथा इसका समापन शुक्रवार, 4 मार्च 2022 को रात 8.45 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार शुक्रवार को फुलैरा दूज पर्व मनाया जाएगा।

फूलेरा दूज पर शुभ योग
फुलैरा दूज की तिथि पर 'शुभ' नामक योग बन रहा है, जो रात्रि 01 बजकर 45 मिनट जारी रहेगा। इसके बाद रात 01 बजकर 52 मिनट से अगले दिन प्रात: 06 बजकर 42 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है और ये दोनों ही योग शुभ कार्यों के लिए अतिउत्तम माने गए हैं।

फुलेरा/फुलैरा दूज पूजा विधि
– फुलेरा दूज की तिथि पर सायंकाल के समय स्नान करके पूरा श्रृंगार करें और इसके बाद राधा-कृष्ण की तस्वरी या मूर्ति को सुगंधित फूलों से सजाएं।
– राधा-कृष्ण पर सुगंध और अबीर-गुलाल भी अर्पित कर सकते हैं। प्रसाद में सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें।
– विधिवत पूजा के बाद 'मधुराष्टक' या 'राधा कृपा कटाक्ष' का पाठ कर सकते हैं। अगर पाठ करना कठिन हो तो केवल 'राधेकृष्ण' का जाप कर सकते हैं।
– पूजा खत्म हो जाने के बाद श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें और प्रसाद ग्रहण कर लें।
– रात्रि के समय सोने वाले पलंग के चारों पैरों में गुलाबी धागा बांध दें और पलंग के नीचे गंदगी इकट्ठा न होने दें।
– ध्यान रखें कि सोने के लिए ढेर सारे तकियों का प्रयोग न करें।

इस दिन से ही भगवान कृष्ण ने खेली थी होली
फुलेरा दूज पर राधे-कृष्ण की उपासना आपके जीवन को सुंदर और प्रेमपूर्ण बना सकती है। इसे फूलों का त्योहार भी कहते हैं क्योंकि फाल्गुन महीने में कई तरह के सुंदर और रंगबिरंगे फूलों का आगमन होता है और इन्हीं फूलों से राधे-कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है। फुलेरा/ फुलैरा दूज के दिन से ही लोग होली के रंगों की शुरुआत कर देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से ही भगवान कृष्ण होली की तैयारी करने लगते थे और होली आने पर पूरे गोकुल को गुलाल से रंग देते थे।


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