- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- Lohri 2025: क्यों...
धर्म-अध्यात्म
Lohri 2025: क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार, जानें वजह
Renuka Sahu
10 Jan 2025 3:00 AM GMT
x
Lohri 2025: इस शीतग्रस्त मौसम के बीच लोहड़ी के पर्व की वजह से जोश की लहर महसूस की जा सकती है। लोहड़ी एक लोकप्रिय शीतकालीन फसल उत्सव है जो मुख्य रूप से भारत के उत्तरी क्षेत्रों, विशेषकर पंजाब राज्य में मनाया जाता है। आमतौर पर हर साल 13 जनवरी को होता है। लोहड़ी सर्दियों की समाप्ति का प्रतीक है और अच्छी फसल के लिए खुशी और धन्यवाद का त्योहार है। पंजाब के लोगों के लिए लोहड़ी के महत्व एक पर्व से भी अधिक है पंजाबी लोग हंसी मजाक पसंद तगड़े, ऊर्जावान, जोशीले एवं स्वाभाविक रूप से हंसमुख होते हैं। उत्सव, प्रेम एवं हल्की स्वच्छंदता ही लोहड़ी पर्व का प्रतीक है।
क्यों मनाया जाता है लोहड़ी
विशेष कर हरियाणा पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश में लोग लोहड़ी की तैयारी करते हैं। घर और मोहल्ले में बड़े-बड़े अलाव कठिन परिश्रम के बाद बनते हैं इन अलाव में जीवन का जोश छिपा होता है। क्योंकि अब समय होता है रवि की फसल काटने का, विश्राम एवं हर्ष की भावना को लोग रोक नहीं पाते है। लोहड़ी पौष मास की आखिरी रात को मनाई जाती है।
लोहड़ी न केवल कृषि फसल से जुड़ा त्योहार है बल्कि इसका सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है। यह समुदायों के लिए एक साथ आने, आभार व्यक्त करने और रिश्तों की गर्माहट का जश्न मनाने का समय है। यह त्योहार विशेष रूप से पंजाबी समुदायों के बीच लोकप्रिय है, लेकिन पूरे भारत में विभिन्न पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के लोगों द्वारा भी मनाया जाता है।
एक प्रचलित लोक कथा है कि मकर संक्रांति के दिन कंस ने श्री कृष्ण के वध के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल में भेजा था। जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। इसी घटना की स्मृति में लोहड़ी का पावन पर्व मनाया जाता है। सिंधी समाज में भी मकर संक्रांति के दिन एक दिन पूर्व लाल लवी के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है। जैसे होली जलाते हैं उसी तरह होली की तरह लकड़ियां एकत्र करके जलाई जाती है और तिलों से अग्नि का पूजन किया जाता है।
सांस्कृतिक प्रथाएं और परम्पराएं
इस त्यौहार पर बच्चों द्वारा घर-घर जाकर लकड़ियां एकत्र करने का ढंग बहुत रोचक है। बच्चों की टोलियां लोहड़ी गाती है और घर-घर से लकड़ियां मांगी जाती है। इस दिन मधुर और सुन्दर गीत गाए जाते है। इस दिन सुबह से ही बच्चे घर-घर जाकर गीत गाते हैं और प्रत्येक घर से लोहड़ी मांगते हैं। लोग एकत्रित होकर अलाव की परिक्रमा करते हैं और अग्नि को पके हुए चावल मक्का के दाने तथा अन्य चबाने वाले अन्न पदार्थ अर्पित करते हैं।
परिक्रमा के बाद लोग मित्रों एवं संबंधियों से मिलते हैं शुभकामनाओं के बीच भेंट भाटी जाती है तथा प्रसाद वितरण होता है। प्रसाद में पांच मुख्य बस्ती होती है तिल, गजक, गुड़, मूंगफली एवं मक्का के दाने शीत ऋतु के विशेष भोज्य पदार्थ अलाव के चारों ओर बैठकर खाए जाते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण व्यंजन है मक्के की रोटी और सरसों का हरा साग जनवरी की तिथि सर्दी में जलते हुए अलाव अत्यंत सुखद एवं मनोहरी लगते हैं।
TagsLohri 2025लोहड़ीत्योहारवजहLohri 2025Lohrifestivalreasonजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचार
Renuka Sahu
Next Story