धर्म-अध्यात्म

Lohri 2025: लोहड़ी के दिन क्यों गाए जाते हैं दुल्ला भट्टी के गीत, जानिए इसकी कहानी

Renuka Sahu
12 Jan 2025 3:23 AM GMT
Lohri 2025:  लोहड़ी के दिन क्यों गाए जाते हैं दुल्ला भट्टी के गीत, जानिए  इसकी कहानी
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Lohri 2025: लोहड़ी सिखों का एक प्रमुख त्योहार है. इस त्योहार को पंजाब में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि अब भारत के कोने-कोने के लोग इसे मनाने लगे हैं. इस त्योहार पर महिलाएं लोकगीत गाती हैं. सभी लोग मिलकर भांगड़ा और गिद्दा करते हैं|
दुल्ला भट्टी के गीत के बिना लोहड़ी अधूरी
लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को है. ऐसे में लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी. लकड़ियों के ढेर लगाकर और उसपर सूखे उपले रखकर लोहड़ी की आग को
प्रज्वलित
किया जाता है. फिर उस आग के चारों और परिक्रमा की जाती है. उस आग में तिल, मूंगफली, गेंहू और गुड़ का प्रसाद डाला जाता है. साथ ही पूजा की जाती है. इस दिन जो पारंपरिक गीत गाए जाते हैं वो बहुत ही लोकप्रीय हैं. लोहड़ी का त्योहार इन लोकगीतों के बिना अधूरा कहा जाता है. इन्हीं लोकगीतों में शामिल है दुल्ला भट्टी के गीत. लोहड़ी के दिन क्यों गाए जाते हैं दुल्ला भट्टी के गीत, क्या है इसकी कहानी. आइए जानते हैं|
ये है दुल्ला भट्टी के गीत
सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो,
दुल्ला भट्ठी वाला हो, दुल्ले दी धी व्याही हो,
सेर शक्कर पाई हो, कुड़ी दे जेबे पाई हो,
कुड़ी दा लाल पटाका हो, कुड़ी दा सालू पाटा हो,
सालू कौन समेटे हो, चाचे चूरी कुट्टी हो,
जमीदारां लुट्टी हो, जमीदारां सदाए हो,
गिन-गिन पोले लाए हो, इक पोला घट गया,
जमींदार वोहटी ले के नस गया, इक पोला होर आया,
जमींदार वोहटी ले के दौड़ आया,
सिपाही फेर के लै गया, सिपाही नूं मारी इट्ट, भावें रो ते भावें पिट्ट,
साहनूं दे लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी
साडे पैरां हेठ रोड़ सानूं छेती छेती तोर
साडे पैरां हेठ दही, असीं मिलना वी नई
साडे पैरां हेठ परात सानूं उत्तों पै गई रात
दे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी|
दुल्ला भट्टी के गीत की कहानी
मान्यता है कि इस लोकगीत के बिना लोहड़ी का पर्व पूरा नहीं होता. धार्मिक मन्याताओं के अनुसार, मुगलों के समय एक दुल्ला भट्टी नाम का व्यक्ति था. दुल्ला भट्टी बहुत ईमानदार और सच्चा था. उसने मुगलों के समय लड़कियों की भ्रष्ट कारोबारियों से रक्षा की थी. इतना ही नहीं उसने लड़कियों की शादी भी कराई थी. इसलिए उसे नायक मान लिया गया. लोहड़ी पर ये गीत गाकर उसे ही याद किया जाता है|
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