धर्म-अध्यात्म

हरियाली तीज पर इस कथा को सुनकर मिलता है व्रत का वास्तविक फल

Shiddhant Shriwas
11 Aug 2021 1:56 PM GMT
हरियाली तीज पर इस कथा को सुनकर मिलता है व्रत का वास्तविक फल
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धार्मिक मान्यता के अनुसार, हरियाली तीज भगवान शिव-माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। कहते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज हरियाली तीज उत्सव मनाया जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल हरियाली तीज सावन माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से सुहागिन महिलाओं को पति की लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह उत्सव भगवान शिव-माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से हरियाली तीज का विशेष महत्व है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिमालयराज के घर माता पार्वती ने पुनर्जन्म लिया। बचपन से ही उन्होंने शिव को पति के रूप में पाने की कामना की थीं। समय बीतने के साथ एक दिन नारद मुनी राजा हिमालय से मिलने गए और वहां पर उन्होंने माता पार्वती से शादी के लिए भगवान विष्णु का नाम सुझाया। हिमालयराज को भी ये बात अच्छी लगी। उन्होंने विष्णु को दामाद के रूप में स्वीकराने की सहमति दे दी।

जब माता पार्वती को पता चला कि उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया गया है तो वो काफी निराश हो गईं। भगवान शिव को पाने के लिए एकांत जंगल में चली गई वहा उन्होंने रेत से शिवलिंग बनाया और व्रत किया। शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की।

माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूरी होने का वरदान दिया। दूसरी तरफ जब पर्वतराज हिमालय को माता पार्वती के मन की बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए। आखिरकार माता पार्वती की शादी संपन्न हो गया और तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।

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