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धर्म-अध्यात्म
यह व्रत कथा कामदा एकादशी के दिन जरुर सुनें, पूरी होंगी हर मनोकामना
Tara Tandi
22 April 2021 7:55 AM GMT
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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। कामदा एकादशी इस वर्ष 23 अप्रैल दिन शुक्रवार को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन पूरे दिन फलाहार करते हुए व्रत किया जाता है और भगवान विष्णु की पूजा तथा आरती की जाती है। कहा जाता है कि व्रत वाले दिन व्रत की कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए, तभी उसका फल प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको कामदा एकादशी व्रत कथा के बारे में बता रहे हैं, जिससे पढ़कर के आप लाभ ले सकते हैं।
कामदा एकादशी व्रत कथा
प्राचाीन काल में एक नगर में एक श्रेष्ठ ब्राह्मण और एक ठाकुर रहते थे। दोनों की एक दूसरे से बनती ही नहीं थी। आए दिन एक दूसरे से वे झगड़ा करते रहते थे। दोनों के बीच आपसी झगड़े इतने बढ़ गए कि एक दिन ठाकुर ने ब्राह्मण को मार डाला। उसके इस कृत्य से उस नगर के ब्राह्मण काफी नाराज थे।
उसे अपने किए पर बहुत ही पश्चाताप होने लगा। बाद में उसने उा ब्राह्मण की तेरहवीं करने की सोची तो ब्राह्मणों ने उसके घर भोजन करने से इनकार कर दिया। ब्राह्मण के विरोध और गुस्से के कारण ठाकुर एकदम अकेला पड़ गया। उसके मन में अपने कृत्य के लिए जो ग्लानि पैदा हुई, उससे वह स्वयं को दोषी मानने लगा।
मानसिक तौर पर वह काफी परेशान रहने लगा। अपने इस जीवन से वह बहुत दुखी हो गया। उसी दौरान उसे एक साधु मिले। उसने साधु से अपने इस महापाप के निवारण का उपाय जानना चाहा। तब उस महात्मा ने उसे कामदा एकादशी का महत्व बताया और उसे कामदा एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आने पर उस ठाकुर ने उस महात्मा के बताए अनुसार कामदा एकादशी का व्रत रखा। कामदा एकादशी के दिन जब वह भगवान विष्णु की मूर्ति के पास सो रहा था, तब उसने एक स्वपन देखा। उसमें भगवान विष्णु ने उससे कहा कि ठाकुर तुम इस व्रत के प्रभाव से ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो गए हो। ब्रह्म हत्या के अपराध बोध से मुक्त होकर उस ठाकुर ने कामदा एकादशी व्रत के महत्व को लोगों को भी बताया।
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