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धर्म-अध्यात्म
जीवन मंत्र: यदि लक्ष्य बड़ा हो और उसकी पूर्ति के लिए अगर किसी छोटे पद पर भी काम करना पड़े तो इसे स्वीकर कर लेना चाहिए
Ritisha Jaiswal
27 May 2021 1:28 PM GMT
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योगी अरविंद ने अपने जीवन में योग, अध्यात्म के साथ ही देश सेवा को भी बहुत महत्व दिया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कहानी - योगी अरविंद एक बहुत धनी परिवार में पैदा हुए थे। इनके दो भाई और थे। माता-पिता ने अरविंद को पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजा। दो भाई तो पढ़ाई में बहुत तेज थे, लेकिन योगी होने के बाद भी अरविंद का मन पढ़ाई में इसलिए नहीं लगा, क्योंकि वे देश सेवा करना चाहते थे और देश को आजाद देखना चाहते थे।
योगी अरविंद ने सभी परीक्षाएं पास कर ली थीं। उन्हें लगा कि मैं शासकीय नौकरी करूंगा तो देश सेवा कैसे करूंगा? वे इंग्लैंड से अपने देश लौट आए और बड़ौदा नरेश के यहां निजी सचिव की नौकरी कर ली।
लोग उनसे पूछा करते थे कि आप खुद इतने धनी हैं, इतने बड़े परिवार से हैं और इतने पढ़े-लिखे हैं तो आपने निजी सचिव की नौकरी क्यों कर ली?
अरविंद कहा करते थे कि काम बड़ा या छोटा नहीं होता है। बड़ी-छोटी तो नीयत होती है। मैं इस पद के माध्यम से वह रास्ता ढूंढ रहा हूं, जहां से देश सेवा कर सकूं।
योगी अरविंद प्रोफेसर बने और प्रिंसिपल भी बने। रामकृष्ण परमहंस का उन पर काफी प्रभाव था। उन्होंने देश के लिए कई क्रांतिकारी काम भी किए।
सीख - जीवन में जब लक्ष्य बड़ा हो और उसकी पूर्ति के लिए अगर किसी छोटे पद पर भी काम करना पड़े तो काम कर लेना चाहिए। जिस तरह श्रीराम ने वनवास स्वीकार किया, ताकि वे रावण का वध कर सकें। योगी अरविंद ये उदाहरण अक्सर दिया करते थे। उन्होंने अपने जीवन में योग, अध्यात्म के साथ ही देश सेवा को भी बहुत महत्व दिया।
Ritisha Jaiswal
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