धर्म-अध्यात्म

आइये जानें क्या है,रंगभरी एकादशी पर शिव-गौरी के पूजा का विधान,मुहूर्त एवं महात्म्य

Kajal Dubey
13 March 2022 7:59 AM GMT
आइये जानें क्या है,रंगभरी एकादशी पर शिव-गौरी के पूजा का विधान,मुहूर्त एवं महात्म्य
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होली से 4 दिन पूर्व पड़नेवाली एकादशी को रंगभरी एकादशी कहते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। होली से 4 दिन पूर्व पड़नेवाली एकादशी को रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) कहते हैं. सनातन धर्म में एकादशी भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित तिथि मानी जाती है, लेकिन रंगभरी एकादशी का भगवान शिव (Lord Shiva) एवं माता गौरी (Mata Gauri) (पार्वती) से विशेष संबंध है. शिव पुराण के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव मां पार्वती का गौना करवाकर काशी लाये थे, इसीलिए इस दिन काशी (वाराणसी) नगरी में आज भी दिव्य उत्सव मनाया जाता है. चूंकि इसी दिन विष्णुजी के साथ आंवले के वृक्ष की भी पूजा का विधान है, इसीलिए इस दिन को आमलकी एकादशी भी कहते हैं. इस वर्ष रंगभरी एकादशी 14 मार्च 2022 को मनाई जायेगी. आइये जानें क्या है रंगभरी एकादशी पर शिव-गौरी के पूजा का विधान, मुहूर्त एवं कथा.

रंगभरी एकादशी का महात्म्य
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव एवं मां पार्वती की काशी नगरी में विशिष्ठ पूजा का आयोजन किया जाता है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथों के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माँ पार्वती का गौना करवाकर पहली बार काशी आये थे, और तब देवताओं ने उनका स्वागत अबीर-गुलाल के साथ किया था. इसलिए आज भी इस दिन काशी (नगरी) में माता पार्वती के गौने की रस्म बड़ी धूमधाम से निभायी जाती है. कहते हैं कि इस दिन रात्रिकाल में शिव एवं पार्वती काशी नगरी में भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामनाओं को पूरी कर उनके जीवन में खुशहाली लाते हैं. इस अवसर पर संपूर्ण काशी में अबीर-गुलाल की विशेष होली खेली जाती है.
ऐसे करें शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना!
रंगभरी एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं. अब मां पार्वती एवं शिवजी का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लेते हैं. इसके पश्चात ताम्र पात्र में जल भरकर निकटतम शिव मंदिर जायें. माँ पार्वती का फूलों से श्रृंगार कर पूजा-अर्चना करें. इसके बाद भगवान शिव के विशिष्ठ मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल अर्पित करें. इसके बाद चंदन का लेप लगाकर अबीर, गुलाल, सफेद पुष्प, चंदन, विल्व पत्र एवं खोये की मिठाई अर्पित करें. शिवलिंग की आधी परिक्रमा करते हुए अपनी मनोकांक्षाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें. ध्यान रहे शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती है. यह भी पढ़ें: होलाष्टक के बाद भी क्यों प्रतिबंधित रहेंगे शुभ-मंगल कार्य? विवाह के लिए अब करना होगा 15 अप्रैल तक इंतजार!
रंगभरी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त
एकादशी प्रारंभः 10.21 AM (13 मार्च, रविवार 2022) से
एकादशी समाप्त: 12.05 PM (14 मार्च, सोमवार 2022) तक
अतः उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष रंगभरी एकादशी 14 मार्च 2022 को मनाई जायेगी. पूजा का मूल मुहूर्त 12.07 PM से 12,54 PM तक है.
बाबा विश्वनाथ मंदिर का दुल्हन की तरह श्रृंगार होता है
रंगभरी एकादशी बाबा विश्ननाथ के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन मां पार्वती के आगमन की खुशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. बाजे-गाजे के साथ नाचते-झूमते माँ पार्वती के गौने की रस्म अदायगी की जाती है. काशीवासी इस अवसर पर बाराती बनते हैं. गौना का रस्म होने के बाद लोग एक दूसरे पर अबीर-गुलाल फेंक कर खुशियों का प्रदर्शन करते हैं. इसी दिन से काशी (वाराणसी) में होली का पर्व शुरू हो जाता है, जो अगले 5 दिनों तक बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है.


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