धर्म-अध्यात्म

आइए जानते हैं शनि देव और हनुमान जी की रोचक पौराणिक कथा

Kajal Dubey
19 March 2022 10:31 AM GMT
आइए जानते हैं शनि देव और हनुमान जी की रोचक पौराणिक कथा
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शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा को लाभकारी बताया गया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 19 मार्च 2022 को शनिवार का दिन है. शनिवार का दिन शनि देव की पूजा के लिए उत्तम माना गया है. शनि की दृष्टि को शुभ नहीं माना गया है. शनि देव जब अशुभ होते हैं तो जीवन में संकट और परेशानियों को अंबार लग जाता है. व्यक्ति परेशान हो जाता है. धन, सेहत और संबंध में हानि उठानी पड़ती है. एक तरह से जीवन कष्टकारी हो जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव कर्मफलदाता है. शनि को न्याय करने वाला बताया गया है. साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान शनि अधिक परेशान करते हैं.

शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा को लाभकारी बताया गया है. माना जाता है कि शनि देव हनुमान जी की पूजा करने वालों को परेशान नहीं करते हैं. इसके पीछे एक रोचक पौराणिक कथा है, जिसे आइए जानते हैं-
शनि देव के अहंकार को ऐसे तोड़ा हनुमान जी ने
पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन हनुमान जी रामभक्ति में डूबे हुए थे. तभी वहां से शनि देव का गुजरना हुआ. शनि देव को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था. वे किसी का भी जीवन तहस तहस कर सकते थे. इस कारण अंहकार में चूर होकर उनके दिमाग ने हनुमान जी को अपनी वक्र दृष्टि और छाया से ढकने की कोशिश की. शनि देव हनुमान जी के पास पहुुंचे और उन्हें ललकारने लगे. शनिदेव ने कहा वानर देख तेरे सामने कौन आया है. शनि देव काफी देर तक हनुमान जी का ध्यान भंग करने की कोशिश करते रहे है. लेकिन सफलता नहीं मिली. उन्होंने फिर प्रयास किया और कहा अरे ओ वानर, आंखें खोल. देख मैं तेरी सुख-शांति को नष्ट करने आया हूं. इस संसार में ऐसा कोई नहीं, जो मेरा सामना कर सके. शनि देव को भ्रम था कि इतना कहते ही हनुमान जी डर जाएंगे और क्षमा याचना करने लगेंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. हनुमान जी काफी देर बाद अपनी आंखों को खोला और बड़ी विनम्रता से पूछा महाराज! आप कौन हैं.
हनुमान जी की इस को बात सुनकर शनि देव को गुस्सा आ गया. वे बोले अरे मुर्ख बन्दर. मैं तीनों लोकों को भयभीत करने वाला शनि हूं. आज मैं तेरी राशि में प्रवेश करने जा रहा हूं, रोक सकता है तो रोक ले. हनुमान जी ने तब भी विनम्रता को नहीं त्यागा और कहा कि शनिदेव क्रोध न करें कहीं ओर जाएं. वहां पर अपना पराक्रम दिखाएं. मुझे प्रभु श्रीराम का ध्यान करने दें हनुमान जी ने जैसे ही ध्यान लगाने के लिए आंखों को बंद किया वैसे ही शनि देव ने आगे बढ़कर हनुमान जी की बांह पकड़ ली और अपनी ओर खींचने लगे.
हनुमान जी को लगा, जैसे उनकी बांह किसी ने दहकते अंगारों पर रख दी हो. उन्होंने एक झटके से अपनी बांह शनि देव की पकड़ से छुड़ा ली. इसके बाद शनि ने विकराल रूप धारण उनकी दूसरी बांह पकड़नी चाही तो हनुमान जी को हल्का सा क्रोध आ गया और अपनी पूंछ में शनि देव को लपेट लिया. इसके बाद भी शनि देव नहीं माने और उन्होंने ने हनुमान जी से कहा तुम तो क्या तुम्हारे श्रीराम भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. इतना सुनने के बाद तो हनुमान जी का क्रोध आ गया और पूंछ लपेट कर शनि देव को पहाड़ों पर वृक्षों पर खूब पटका और रगड़ा. इससे शनि देव का हाल बेहाल हो गया.
शनि देव ने मदद के लिए कई देवी देवताओं को पुकारा लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया. अंत में शनि देव ने स्वयं ही कहा दया करो वानरराज. मुझे अपनी उद्दंडता का फल मिल गया. मुझे क्षमा कर दें. भविष्य में आपकी छाया से भी दूर रहूंगा. तब हनुमान जी बोले मेरी छाया ही नहीं मेरे भक्तों की छाया से भी दूर रहोगे. तब से शनि हनुमान जी की पूजा करने वालों को परेशान नहीं करते हैं. इसलिए शनि को शांत करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है.


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