धर्म-अध्यात्म

आइये जानते है,भगवान गणेश के जीवन से जुड़े हुए प्रसंग के बारे में

Kajal Dubey
22 Dec 2021 3:10 AM GMT
आइये जानते है,भगवान गणेश के जीवन से जुड़े हुए प्रसंग के बारे में
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सनातन धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्यनीय माना गया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सनातन धर्म में भगवान गणेश (Lord Ganesha) को प्रथम पूज्यनीय माना गया है. घर में कोई भी शुभ काम हो, सबसे पहले श्री गणेश का आहवान किया जाता है. सबसे पहले गणेश जी को पूजा जाता है. मान्यता है कि सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करने से सारे काम सफल होते हैं. हिन्दू पुराणों (Hindu Purana) में भगवान गणेश के जीवन से जुड़े हुए कई प्रसंग मिलते हैं.

पुराणों के अनुसार भगवान गणेश को भोलेनाथ (Bholenath) के आशीर्वाद से ही प्रथम पूज्य देवता का स्थान प्राप्त हुआ है. तो आइये जानते है क्यों हर शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश को उनके पिता से पहले पूजा जाता है.
इसलिए हैं प्रथम पूज्य गणेश
पुराणों में एक उल्लेख मिलता है कि जब भगवान भोलेनाथ ने बालक गणेश का सिर काट दिया था. तब माता पार्वती रुष्ट हो गईं थीं. उस समय भोलेनाथ ने एक हाथी का सिर बालक के धड़ से जोड़ कर उसे जीवन दान दिया, लेकिन उसके बाद भी जब माता पार्वती खुश नहीं हुईं तो भगवान भोलेनाथ ने बालक गणेश को वरदान दिया कि हर शुभ कार्य के पहले गणेश का पूजन होगा और जो भी व्यक्ति ऐसा करेगा उसका कार्य सफल होगा.
अन्य कथा
पुराणों में वर्णित एक अन्य कथा के अनुसार एक दिन बालक कार्तिकेय और गणेश के बीच इस बात को लेकर बहस हो गई है कि माता पिता को कौन ज्यादा प्रिय है. इस बात का हल निकालने के लिए दोनों भगवान शंकर के पास जाते हैं. भोलेनाथ दोनों बालकों की जिज्ञासा को शांत करने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं. जिसमें सभी देवी-देवता उपस्थित होते हैं. उन्होंने दोनों बालकों से बोला कि अपने अपने वाहनों में बैठकर जो भी इस ब्राह्मण का चक्कर लगाकर सर्वप्रथम उनके पास आएगा वही विजेता होगा.
कार्तिकेय का वहान मोर था तो वे झट से अपने वाहन में चढ़ कर ब्राह्मण का चक्कर लगाने निकल गए, लेकिन गणेश का वाहन चूहा था, तभी गणेश को एक युक्ति सूझी और गणेश जी बाकी देवताओं की तरह ब्राह्मण के चक्कर लगाने की जगह अपने माता-पिता शिव-पार्वती की सात परिक्रमा पूर्ण कर उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए. जब कार्तिकेय ब्राह्मण का चक्कर काट कर लौटे तो शिवजी ने बालक गणेश को विजेता घोषित किया और बताया कि माता-पिता को इस ब्राह्मण में सर्वोच्च स्थान दिया गया है. सभी देवता भगवान भोलेनाथ की बात से सहमत हुए तभी से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा


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