धर्म-अध्यात्म

आइए जानते हैं शीतला अष्टमी व्रत कथा के बारे में

Kajal Dubey
24 March 2022 1:54 AM GMT
आइए जानते हैं शीतला अष्टमी व्रत कथा के बारे में
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शीतला अष्टमी का व्रत करने से संक्रामक रोग, त्वचा रोग, फोड़े, चेचक, बड़ी माता, छोटी माता आदि से मुक्ति मिलती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शीतला अष्टमी का व्रत (Sheetala Ashtami Vrat) करने से संक्रामक रोग, त्वचा रोग, फोड़े, चेचक, बड़ी माता, छोटी माता आदि से मुक्ति मिलती है. शीतला अष्टमी व्रत 25 मार्च को है. शीतला अष्टमी के​ दिन शीतला माता को बासी पकवानों का भोग लगाते हैं और विधिपूर्वक माता की पूजा करते हैं. व्रत के नियमों का पालन करते हैं. ऐसा करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं और अरोग्य का आशीर्वाद देती हैं. शीतला अष्टमी की पूजा के समय शीतला अष्टमी व्रत कथा का पाठ करते हैं, जिससे व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है और व्रत के महत्व पता चलता है. आइए जानते हैं शीतला अष्टमी व्रत कथा (Sheetala Ashtami Vrat Katha) के बारे में.

शीतला अष्टमी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य के राजा का एक ही बेटा था. उसे चेचक (शीतला) निकला था. उसी राज्य के एक गरीब परिवार के बेटे को भी शीतला निकली हुई थी. वह परिवार मां भगवती की पूजा करता था. उस परिवार ने शीतला के समय जिन भी नियमों का पालन किया जाता है, उन सबका ध्यान रखा. घर में बिना छौंक के सब्जी बनती थी, भुने या तले हुए खानों और नमक पर पाबंदी थी. घर के सभी लोग ठंडा खाना ही खाते थे. ऐसा कुछ दिन तक चला और उस परिवार का बेटा स्वस्थ हो गया.
दूसरी ओर राजा के बेटे का रोग ठीक नहीं हो रहा था. राजा ने शतचंडी का पाठ शुरु कराया. रोज गरम स्वादिष्ट भोजन बनते थे. भुने और तले हुए भोजन खाया जाता था. मांस भी बनाया जाता था. राजा का बेटा जो भी जिद करता था, वह पूरी कर दी जाती थी.
इनके सबके कारण राजा के बेटे के शरीर में फोड़े हो गए. उसमें खुजली और जलन होने लगी. जो उपाय किया जाता, उसका कोई असर नहीं होता. शीतला का प्रकोप और बढ़ गया. इन सबसे राजा परेशान हो गया. वह सोचने लगा कि आखिर इतने उपाय करने के बाद भी शीतला का प्रकोप शांत क्यों नहीं हो रहा है.
राजा के गुप्तचरों ने उसे बताया कि राज्य में एक गरीब परिवार के बेटे को भी शीतला निकली थीं, लेकिन वह कुछ दिनों में ही स्वस्थ हो गया था. तब राजा ने सोचा कि वह तो माता की इतनी सेवा कर रहा है, फिर भी उनका प्रकोप कम क्यों नहीं हो रहा है. उसका बेटा स्वस्थ क्यों नहीं हो रहा है.
राजा ये सब बातें सोचते-सोचते सो गया. उसके स्वप्न में शीतला माता ने दर्शन दिया. राजा से कहा कि वह उसकी सेवा और पूजा से प्रसन्न हैं, लेकिन तुमने शीतला के नियमों को तोड़ा है, इस वजह से शीतला का प्रकोप शांत नहीं हो रहा है, इसके लिए तुम खाने में नमक बंद कर दो, बिना छौंक के सब्जी बनाओ, खाने में तेल का प्रयोग न करो और सभी लोग ठंडा भोजन करें. बेटे के पास किसी को मत जाने दो. ऐसा करो, जल्द ही तुम्हारा बेटा स्वस्थ हो जाएगा.
अगले दिन से राजा शीतला माता के बताए गए नियमों का पालन करने लगा. देखते ही देखते कुछ ही दिनों में राजा का बेटा स्वस्थ हो गया.


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