धर्म-अध्यात्म

जानें क्यों मनाते हैं गुड फ्राइडे...क्या है इसके पीछे का इतिहास

Subhi
1 April 2021 4:30 AM GMT
जानें क्यों मनाते हैं गुड फ्राइडे...क्या है इसके पीछे का इतिहास
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ईसाई धर्म के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक गुड फ्राइडे भी है

ईसाई धर्म के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक गुड फ्राइडे भी है जो इस वर्ष 2 अप्रैल को मनाया जाता है। यह वह दिन है जब ईसाई धर्म के लोग यीशु मसीह के क्रूस को याद करते हैं। ईस्टर संडे से पहले वाले शुक्रवार को गुड फ्राइडे मनाया जाता है। दुनियाभर के ईसाई समुदाय के लोग गुड फ्राइडे को तपस्या, दु:ख और उपवास के दिन के रूप में मनाते हैं। इस धर्म का यह पवित्र सप्ताह है 29 मार्च से पाम संडे के साथ शुरू हुआ था। यह 5 अप्रैल को ईस्टर के साथ खत्म होगा। बता दें कि 4 अप्रैल को ईस्टर संडे मनाया जाएगा। कलवारी में शुक्रवार को सूली पर चढ़ाए जाने के बाद यह दिन यीशु के पुनरुत्थान का प्रतीक माना जाता है।

गुड फ्राइडे का इतिहास:
कहा जाता है कि 2000 वर्ष पहले यरुशलम के गैलिली प्रांत में ईसा मसीह, लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश दे रहे थे। उनके उपदेश सुनकर कई लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे थे। लेकिन कुछ धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले धर्मगुरु उनसे चिढ़ने शुरू कर दिया था। जहां एक तरफ लोगों के बीच ईसा मसीह की लोकप्रियता बढ़ रही थी वहीं, दूसरी तरफ यह बात धर्मगुरुओं का अखरने लगी थी। धर्मगुरुओं ने ईसा मसीह की शिकायत रोम के शासक पिलातुस से की। उन्होंने पिलातुस से कहा कि यह व्यक्ति खुद को ईश्वरपुत्र बता रहा है। यह पापी है और ईश्वर राज की बातें करता है। जब उनकी शिकायत की गई तो ईसा मसीह पर धर्म अवमानना करने का आरोप लगाया गया। साथ ही राजद्रोह का आरोप भी लगाया गया। इसके बाद ईसा को क्रूज पर मत्यु दंड देने का फरमान दिया गया। उन्हें कोड़ें-चाबुक से मारा गया और कांटों का ताज पहनाया गया। फिर कीलों से ठोकते हुए उन्हें सूली पर लटका दिया गया। बाइबल के अनुसार, उन्हें जिस जगह पर सूली पर चढ़ाया गया था, उसका नाम गोलगोथा है।

गुड फ्राइडे का महत्व:
बाइबिल की कहानी के अनुसार, ईसा मसीह को उनके समय के धार्मिक नेताओं द्वारा गिरफ्तार किया गया था। उन्हें मारा पीटा भी गया था। फिर उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया था जहां उनकी मृत्यु हो गई थी। लेकिन इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है क्योंकि यह एक पवित्र समय माना जाता है। इस दिन ईसाई समुदाय के चर्च सेवा और उपवास में बिताते हैं। कुछ चर्चों में तो यीशु के जीवन के अंतिम घंटों को फिर से दोहराया जाता है और उनके बलिदान को याद किया जाता है।


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