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लोहड़ी का त्योहार उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लोहड़ी का त्योहार उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. हर साल मकर संक्रान्ति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन लोग घर के बाहर और चौराहों पर लोहड़ी जलाते है. इस दिन लोग ढोल नगाड़ों के साथ आग के इर्द गिर्द परिक्रमा लगाते हुए दुल्ला भट्टी की कहानी बोलते हैं और रेवड़ी, गजक, मूंगफली अग्नि को समर्पित करते हैं. लोहड़ी का त्योहार रबी फसल के कटकर आने की खुशी में मनाया जाता है.
लोहड़ी का त्योहार उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. शब्द कहां से आया
लोहड़ी शब्द को लेकर विभिन्न धाराणाएं हैं. कई लोगों का मानना है कि लोहड़ी शब्द तिलोई से आया है जिसे बाद में लोहड़ी कर दिया गया है. वहीं,कुछ लोगों का कहना हैं कि लोहड़ी किसान की फसल कटाने की खुशी में मनाया जाता है और लोह का मतलब रोटी होता है.
ऐसे मनाया जाता है त्योहार
लोहड़ी का जश्न लोग अपने परिवार, रिश्तेदारों, करीबियों और पड़ोसियों के साथ मिलकर मनाते हैं. रात के समय खुले आसमान के नीचे आग जलाई जाती है. लोग पारंपरिक गीत गाते हुए और दुल्ला भट्टी की कहानी बोलते हुए आग के चक्कर लगाते हैं. गजक, रेवड़ी, मक्का, मूंगफली चढ़ाते हैं और फिर उसका प्रसाद बांटते हैं. ढोल नगाड़ों पर डांस करते हैं. पंजाब में लोग लोकनृत्य, भांगड़ा और गिद्धा करते हैं.
किसानों को समर्पित है त्योहार
लोहड़ी का पर्व किसानों को समर्पित होता है. पारंपरिक रूप से लोहड़ी फसल की बुआई तथा उसकी कटाई से संबंधित एक खास पर्व है. इस दिन फसल की पूजा करने का भी विधान है. मान्यता है कि लोहड़ी के समय किसानों के खेत लहलहाने लगते हैं और रबी की फसल कटकर आती है. नई फसल के आने की खुशी और अगली बुवाई की तैयारी से पहले ये त्योहार मनाया जाता है.
Gulabi
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