धर्म-अध्यात्म

कालसर्पदोष और पितृदोष से बचने के लिए जानें ये मन्त्र

Deepa Sahu
13 April 2023 12:26 PM GMT
कालसर्पदोष और पितृदोष से बचने के लिए जानें ये मन्त्र
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हर किसी के जीवन में ग्रह नक्षत्र और कुंडली विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि कुंडली में अगर सभी ग्रहों की दशा और दिशा शुभ हो, तो जातक को इसका शुभ परिणाम प्राप्त होता है साथ ही साथ कार्यों में तरक्की व सुख समृद्धि मिलती है लेकिन अगर किसी जातक की कुंडली में कोई दोष होता है तो इसका अशुभ प्रभाव जातक के जीवन पर भी देखने को मिलता है।
ऐसे में अगर आपकी जन्मकुंडली में कालसर्प दोष और पितृदोष व्याप्त है या फिर राहु केतु से आप पीड़ित है तो ऐसे में सर्प सूक्त स्तोत्र का पाठ करना आपके लिए उत्तम रहेगा। मान्यता है कि इससे जातक की समस्या का निदन हो जाता है। साथ ही इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करने से सपने में नागों का दिखना व उनका भय भी समाप्त हो जाता है। इस पाठ को करने से साधक को श्रेष्ठ फलों की प्राप्ति होती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए है। सर्प सूक्त स्तोत्र का संपूर्ण पाठ।
॥ अथ श्री सर्प सूक्तम् स्तोत्र ॥
ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासु‍कि प्रमुखाद्य: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
कद्रवेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
समुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जंलवासिन: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
॥ इति श्री सर्प सूक्तम् स्तोत्र ॥
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