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धर्म-अध्यात्म
जानें मंदिर में मूर्ति निर्माण से जुड़ी पौराणिक कथा
Ritisha Jaiswal
5 May 2021 11:26 AM GMT
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ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के बारे में भला कौन नहीं जानता ये विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के बारे में भला कौन नहीं जानता ये विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा है और जगन्नाथ जी का मंदिर भी दुनिया भर में मशहूर है. लाखों की संख्या में हर साल श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन के लिए आते हैं भगवान श्री कृष्ण को ही जगन्नाथ भी कहा जाता है और पुरी का यह मंदिर उन्हें ही समर्पित है. इस मंदिर में जगन्नाथ जी यानी भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ विराजमान हैं लेकिन इस मंदिर की एक खासियत ये है कि मंदिर की तीनों मूर्तियां अधूरी हैं इससे जुड़ी कथा के बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं
चार धामों में से एक है जगन्नाथ मंदिर
पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर को चार धामों में से एक माना जाता है और हर साल यहां भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है जिसमें मंदिर के तीनों देवता अलग-अलग रथों में विराजमान होकर पूरे नगर की यात्रा करते हैं वैसे तो इस मंदिर से जुड़ी कई प्रचलित कथाएं हैं लेकिन उनमें सबसे अहम मंदिर की अधूरी मूर्तियों (Incomplete idols) से जुड़ी कथा है
विश्वकर्मा ने राजा के सामने रखी थी एक शर्त
ब्रह्मपुराण के अनुसार, मालवा के राजा इंद्रद्युम्न को सपने में भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए और भगवान जगन्नाथ ने राजा से कहा कि पुरी के समुद्र तट पर जाएं जहां उन्हें एक लकड़ी का गट्ठर मिलेगा. उसी लकड़ी से वे उनकी मूर्तियो का निर्माण करवाएं. जब राजा को लकड़ी का गट्ठर मिल गया उसके बाद भगवान विश्वकर्मा मूर्तिकार और कारीगर के रूप में राजा के सामने उपस्थित हुए. विश्वकर्मा ने कहा कि वे एक महीने में मूर्ति तैयार कर देंगे लेकिन उनकी शर्त ये है कि तब तक उस कमरे में कोई नहीं आएगा ना ही राजा और ना ही कोई और. राजा ने शर्त मान ली.
तो इसलिए अधूरी रह गईं मूर्तियां
मूर्तियों का निर्माण शुरू हुआ. एक महीने का समय लगभग पूरा हो चुका था और कई दिनों तक कमरे से कोई आवाज नहीं आई तो उत्सुकता वश राजा ने कमरे का दरवाजा खोल दिया. जैसे ही कमरा के द्वार खुला, वहां से विश्वकर्मा गायब हो गए और वहां पर भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की अधूरी मूर्तियां रखी थीं जिनके हाथ नहीं बने थे. मूर्तिकार ने कहा कि ये मूर्तियां इसी तरह से स्थापित की जाएंगी और इसी तरह उन्हें पूजा जाएगा.
Ritisha Jaiswal
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