धर्म-अध्यात्म

जानें किस तरह मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का त्यौहार

Ritisha Jaiswal
3 April 2021 3:01 PM GMT
जानें किस तरह मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का त्यौहार
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हिंदू नव संवत्सरारम्भ के दिन गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। यह चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को आता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू नव संवत्सरारम्भ के दिन गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। यह चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को आता है। इसे वर्ष प्रतिपदा या उगादि भी कहा जाता है। हिंदू धर्म का इस दिन से ही नववर्ष शुरू होता है। गुड़ी के अर्थ की बात करें तो यह विजय पताका होता है। मान्यता है कि शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना तैयार की थी और उससे प्रभावी शत्रुओं का पराभव किया था। इसे विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। जहां आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में इस दिन को उगादि तो महाराष्ट्र में इसे ग़ुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो जाती है। आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

गुड़ी पड़वा तिथि और मुहूर्त:
गुड़ी पड़वा मंगलवार, अप्रैल 13, 2021
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- अप्रैल 12, 2021 सोमवार, सुबह 8 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त- अप्रैल 13, 2021 मंगलवार सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक
गुड़ी पड़वा महत्व:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड का निर्माण किया था। ऐसे में इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है। साथ ही कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के दिन सारी बुराईयों का नाश हो जाता है। वहीं, व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है।

जानें कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा:
महाराष्ट्र में इस दिन कई तरह के जुलूस आयोजित किए जाते हैं। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं। साथ ही मित्रों एवं रिश्तेदारों के साथ त्यौहार का आनंद लेते हैं। कई लोग अपने घरों में अलग-अलग तरह के पारंपरिक व्यंजन जैसे पूरन पोली और श्रीखंड आदि बनाते हैं। महाराष्ट्र में मीठे चावल बनाए जाते हैं। इन्हें सक्कर भात कहा जाता है। इस दिन सूर्योदय से शुरू होकर पूरे दिन अनुष्ठान चलते हैं।


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