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300 साल बाद गणेश चतुर्थी पर लंबोदर योग, जानें शुभ मुहूर्त

Subhi
30 Aug 2022 4:49 AM GMT
300 साल बाद गणेश चतुर्थी पर लंबोदर योग, जानें शुभ मुहूर्त
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भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रथम देव गणपति के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी से अगले 10 दिनों तक भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति भगवान की विधिवत पूजा अर्चना करके उनकी विदाई करके प्रतिमा का विसर्जन करते हैं

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रथम देव गणपति के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी से अगले 10 दिनों तक भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति भगवान की विधिवत पूजा अर्चना करके उनकी विदाई करके प्रतिमा का विसर्जन करते हैं और अगले साल आने के लिए भी आमंत्रित कर देते हैं। जानिए गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, स्थापना विधि और मंत्र।

इस साल की गणेश चतुर्थी है काफी खास

31 अगस्त को पड़ने वाली गणेश चतुर्थी काफी खास मानी जा रही है। क्योंकि 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव में काफी शुभ योग बन रहे हैं। इस दिनों में गणेश पूजा करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होगी।

31 अगस्त का दिन गणेश चतुर्थी के लिए इसलिए खास

है। वह सारे संयोग इस दिन बन रहे है जो गणेश जी के जन्म के समय बने थें। पंचांग के अनुसार इस दिन बुधवार होने के साथ-साथ चतुर्थी, चित्रा नक्षत्र के साथ दोपहर का समय है जब माता पार्वती ने गणपति जी को बनाया था और बाद में भगवान शिव ने प्राण डाले थे।

गणेश चतुर्थी से लेकर लेकर अनंत चतुर्थी के बीच ऐसे सात मुहूर्त बन रहे हैं जो काफी खास माने जाते बैं। माना जा रहा है है कि ऐसा मुहूर्त करीब 300 सालों बाद बन रहा है। क्योंकि गणेश उत्सव के दौरान शनि, बुध, सूर्य और गुरु अपनी ही राशि में विराजमान रहेंगे।

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 30 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 34 मिनट से शुरू

भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त- 31 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 23 तक

शुक्ल योग - 31 अगस्त सुबह 12 बजकर 04 मिनट से रात 10 बजकर 47 मिनट तक

ब्रह्म योग - 31 अगस्त को रात 10 बजकर 47 मिनट से 1 सितंबर रात 09 बजकर 11 मिनट तक।

राहुकाल - दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से 2 बजे तक।

मध्याह्न गणेश पूजा समय- 31 अगस्त सुबह 11 बजकर 21 से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक

गणेश जी की मूर्ति स्थापना विधि

गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्न मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।

इसके बाद साफ जगह या फिर पूजा घर में एक चौकी में लाल या पीला रंग का वस्त्र बिछा दें।

लाल कपड़े में थोड़ा सा अक्षत डालकर मूर्ति रख दें।

मूर्ति के दोनों ओर गणेश जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक के रूप में सुपारी रख दें।

इसके साथ ही गणपति जी के दाएं तरफ एक मिट्टी के कलश या फिर तांबा या पीतल के लोटे में जल भरकर रख दें और उसके ऊपर आम का पत्ता लगाकर नारियल रख दें।

गणेश पूजन विधि

अब हाथ में थोड़ा सा अक्षत रखकरर भगवान गणेश का मनन करते हुए आवाहन करें कि हे प्रभु आए और घर में विराजे और श्रद्धा के अनुसार की गई मेरी पूजा को स्वीकार करें। इसके बाद अक्षत गणपति जी के चरणों में रख दें।

अब भगवान गणेश को पुष्प के माध्यम से स्नान कराएं

इसके बाद भगवान को पुष्प, माला, दूर्वा, हल्दी, चंदन, मौली आदि चढ़ा दें।

इसके साथ ही नारियल, सहित सभी सामग्री चढ़ा दें।

इसके बाद भोग में मोदक, लड्डू या फिर नारियल के लड्डू अर्पित कर लें।

अब घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत मंत्रों का जाप करें।

गणेश चलीसा का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।

अंत में भूलचूक के लिए माफी मांग लें।

इस मंत्र का करें जप

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:।

निर्विघ्नं कुरु मे देव: सर्वकार्येषु सर्वदा॥


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