धर्म-अध्यात्म

नीलम का उपरत्न है लाजवर्त, शनि, राहु-केतु के दुष्प्रभाव से मिलती है मुक्ति

Tulsi Rao
1 Feb 2022 7:56 AM GMT
नीलम का उपरत्न है लाजवर्त, शनि, राहु-केतु के दुष्प्रभाव से मिलती है मुक्ति
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ऐसे में तीनों ग्रहों की शांति के लिए लाजवर्त रत्न बेहद खास माना जाता है. जानते हैं कि इस रत्न को धारण करने की सही विधि क्या है?

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ग्रहों के बुरे असर को कम करने के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. कुंडली के कुछ ग्रह इंसान की जिंदगी पर बुरा प्रभाव डालते हैं. कुंडली के अशुभ राहु-केतु और शनि जिंदगी में बेहद तकलीफ देते हैं. ऐसे में तीनों ग्रहों की शांति के लिए लाजवर्त रत्न बेहद खास माना जाता है. जानते हैं कि इस रत्न को धारण करने की सही विधि क्या है?

कैसा होता है लाजवर्त?
लाजवर्त रत्न देखने में गहरे नीले रंग का होता है. इसमें हरे रंग की तीन-चार धारियां नजर आती हैं. जिस प्रकार मोर की गर्दन गहरे नीले रंग की होती है, ठीक उसी तरह इस रत्न का स्वरूप होता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस रत्न को धारण करने से शनि, राहु और केतु की अशुभ दशा सुधरने लगती है.
नीलम का उपरत्न है लाजवर्त
लाजवर्त शनि के रत्न नीलम का उपरत्न है. इसे धारण करने से मानसिक क्षमता सुदृढ़ होती है. इसके अलावा अवसाद से मुक्ति के लिए भी इस रत्न को पहना जाता है. जिन छात्रों को पढ़ाई में एकाग्रता की कमी होती है, उनके लिए भी यह रत्न अच्छा होता है.
किसे पहनना चाहिए लाजवर्त
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जिन जातकों की कुंडली में शनि उच्च हो और इसके कारण जीवन में परेशानी आ रही हो तो ऐसे में उन्हें लाजवर्त धारण करना चाहिए. इसके अलावा कुंभ और मकर लग्न की राशि के लोग इसे धारण कर सकते हैं. वहीं अगर कुंडली में राहु-केतु का कोई दोष है तो इस रत्न को पहना जा सकता है.
कैसे धारण करें लाजवर्त
लाजवर्त को चांदी में बनवाकर अंगूठी या लॉकेट के रूप में धारण किया जा सकता है. इसके अलावा ब्रेसलेट या माला के रूप में भी धारण किया जा सकता है. लाजवर्त धारण करने के लिए दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली का चयन करना चाहिए. इसे धारण करने से सरसों या तिल के तेल से अभिषिक्त करें. इसके बाद इसे नीले रंग के कपड़े पर रखकर शनि के मंत्र की एक माला जाप करें. इतना करने के बाद इसे पहनें.


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