धर्म-अध्यात्म

इन चीजों को चढ़ाने से प्रसन्न होंगे लड्डू गोपाल

HARRY
15 Aug 2022 6:36 AM GMT
इन चीजों को चढ़ाने से प्रसन्न होंगे लड्डू गोपाल
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नई दिल्ली: हर साल की भांति भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी यानि 18 अगस्त 2022 को धूम-धाम से मनाया जाएगा. इस दिन लोग अपनी अपनी आस्था के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, व्रत, कीर्तन आदि करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण को 64 कलाओं से युक्त माना गया है. यदि आप चाहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा से शीघ्र ही प्रसन्न होकर आपके जीवन से जुड़े सारे कष्ट पलक झपकते दूर और आपकी झोली खुशियों से भर दें तो आपको उनकी पूजा करते समय श्रृंगार और प्रसाद आदि से जुड़ी नीचे बताई गई बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए. आइए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और श्रृंगार से जुड़ी महत्वपूर्ण चीजों के बारे में विस्तर से जानते हैं.

मुरली
भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर उनकी पूजा जिन चीजों के बगैर अधूरी मानी जाती है, उसमें सबसे पहला मुरली का नाम आता है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को मुरली बहुत प्रिय है और यही कारण है कि उन्हें मुरलीधर कहा जाता है. ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि आप पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा शीघ्र ही बरसे तो आप कान्हा के जन्मोत्सव पर मुरली अवश्य चढ़ाएं.
मोर पंख
भगवान श्री कृष्ण की पूजा में मुरली की तरह मोरपंख काे चढ़ाने का भी बहुत ज्यादा महत्व है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को मुरली की तरह मोरपंख से भी बहुत ज्यादा लगाव था, यही कारण है कि वे इसे मुकुट की तरह प्रयोग में लाया करते थे. ऐसे में जन्माष्टमी की पूजा को सफल बनाने के लिए भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख और उससे बना मुकुट जरूर चढ़ाएं.
शंख
कान्हा के जन्मोत्सव में की जाने वाली पूजा जिस चीज के बगैर अधूरी मानी जाती है, उसमें शंख भी शामिल है. शंख को सनातन परंपरा में शुभता का प्रतीक माना गया है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने धारण किया हुआ है. जन्माष्टमी के पर्व पर शंख का प्रयोग लड्डू गोपाल को नहलाने और पूजा के दौरान बजाने के लिए किया जाता है. ऐसे में जन्माष्टमी की पूजा के दौरान अपने पास शंख अवश्य रखें.
तुलसी
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा प्रसाद के बगैर अधूरी मानी जाती है और इस दिन आप जो भी प्रसाद बनाएंं उसे चढ़ाते समय उसमें तुलसीदल जरूर चढ़ाएं क्योंकि भगवान श्री कृष्ण को तुलसी बहुत प्रिय है. मान्यता है कि जन्माष्टमी की पूजा में तुलसी दल चढ़ाने से शीघ्र ही भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं.
खीरा
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर कान्हा की पूजा में डंठल वाला खीरा को चढ़ाने का भी महत्व है. मान्यता है कि जिस प्रकार किसी शिशु का जन्म लेने के बाद उसकी मां से अलग करने के लिए गर्भनाल को काटा जाता है, कुछ वैसे ही जन्माष्टमी के दिन प्रतीक स्वरूप खीरे की डंठल को काटकर भगवान श्री कृष्ण उनकी मां देवकी से अलग किया जाता है.
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