धर्म-अध्यात्म

आने वाली है कुशग्रहणी अमावस्या, जानें इसका महत्त्व

Tara Tandi
4 Sep 2023 11:53 AM GMT
आने वाली है कुशग्रहणी अमावस्या, जानें इसका महत्त्व
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हिंदू धर्म में भाद्रपद के महीने को भक्ति और मुक्ति का महीना कहा जाता है. हर साल भाद्रपद के महीने में आने वाली अमावस्या बेहद महत्त्वपूर्ण होती है. भाद्रपद की अमावस्या तिथि को पिठोरी अमावस्या या कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन कुशा जमा करने की परंपरा है जिसका इस्तेमाल पितृपक्ष के दौरान पूजन और तर्पण में किया जाता है. अमावस्या के दिन नदी और पोखर के किनारे निकले कुशा को एकत्रित किया जाता है और घर में किसी साफ स्थान पर इसे रख देते हैं.
संकल्प के लिए कुशा का उपयोग
स्नान दान के समय में भी कुशा को हाथ में लेकर संकल्प करने की परंपरा है. पूजा के समय इसे अंगुली में बांधा जाता है. सनातन परंपरा में कुशा बहुत महत्व है, किसी प्रकार के पूजन और तर्पण आदि में कुशा को पवित्री के रूप में उगंलियों में धारण किया जाता है. कुछ लोग तो कुशा से बनें आसन पर बैठकर ही संकल्प लेते हैं.
पुण्य फलों के लिए कुशा का उपयोग
कुशग्रहणी अमावस्या के दिन जो कुशा जमा कि जाती है वे अति पवित्र और पुण्य फलदायी मनी जाती है. कुशा के बने हुए आसन पर बैठ कर जप और तप करने का विधान है. मान्यता है कि ऐसा करने से जप और तप पूर्ण फलदायी होता है.
कुशा उखाड़ने के नियम
- कुशा को उखाड़ते समय ध्यान रखें कि कुशा को ऐसे स्थान से ही उखाड़े जो साफ-सुथरा हो
- कुशा उखाड़ते समय आप अपना मुंह उत्तर या पूर्व की दिशा की ओर रखें.
- गलती से भी कुशा निकालने के लिए लोहे का प्रयोग न करें, लकड़ी से ढीली की हुई कुशा को एक बार में निकाल लेना चाहिए.
- कुशा खण्डित या टूटी-फूटी नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसी कुशा आपके पास हो तो उसका पूजा में इस्तेमाल ना करें.
कुशा उखाड़ते समय ये मंत्र जपें
कुशा उखाड़ते समय ऊँ के उच्चारण के बाद 'विरंचिना सहोत्पन्न परमेष्ठिनिसर्जन। नुद सर्वाणि पापानि दर्भ! स्वस्तिकरो भव॥' मंत्र का उच्चारण करना चाहिए, और अंत में 'हुं फ़ट्' कहें।
अगर आप इस साल भाद्रपद की अमावस्या के दिन ये करते हैं तो इस कुशा का उपयोग आप सालभर कर सकते हैं. अमावस्या का दिन कई ज्योतिष कारणों, टोने-टोटकों और उपायों के लिए खास माना जाता है. खासतौर पर अब जो अमावस्या आ रही है इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से धनलाभ के योग भी बनते हैं.
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