धर्म-अध्यात्म

कुबेर जी की आरती

Tulsi Rao
22 Oct 2022 1:16 PM GMT
कुबेर जी की आरती
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Kuber Ji Ki Aarti: आज शनिवार का दिन बेहद खास है. हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पर्व दीपावली से पहले लोग धनतेरस की पूजा कर रहे हैं. धनतेरस की पूजा घर के लिए और घर के सभी सदस्यों की सुख-समृद्धि के लिए बेहद जरूरी. इस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा के साथ-साथ इस दिन कूबेर देवता की पूजा करना नहीं भूलना चाहिए. कुबेर देवता को धन का देवता कहा गया है. उनकी पूजा के बिना धनतेरस की पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए लक्ष्मी-गणेश के साथ-साथ सभी को कुबेर देवता की भी विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए. धनतेरस वाले दिन कुबेर देवता की आरती कर उन्हें खुश किया जाता है. यहां देखें कुबेर देवता की आरती..

कुबेर जी की आरती (Kuber Ji Ki Aarti)

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,

स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे ।

शरण पड़े भगतों के,

भण्डार कुबेर भरे ।

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,

स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।

दैत्य दानव मानव से,

कई-कई युद्ध लड़े ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,

सिर पर छत्र फिरे,

स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।

योगिनी मंगल गावैं,

सब जय जय कार करैं ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

गदा त्रिशूल हाथ में,

शस्त्र बहुत धरे,

स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।

दुख भय संकट मोचन,

धनुष टंकार करें ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,

स्वामी व्यंजन बहुत बने ।

मोहन भोग लगावैं,

साथ में उड़द चने ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

बल बुद्धि विद्या दाता,

हम तेरी शरण पड़े,

स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।

अपने भक्त जनों के,

सारे काम संवारे ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

मुकुट मणी की शोभा,

मोतियन हार गले,

स्वामी मोतियन हार गले ।

अगर कपूर की बाती,

घी की जोत जले ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,

जो कोई नर गावे,

स्वामी जो कोई नर गावे ।

कहत प्रेमपाल स्वामी,

मनवांछित फल पावे ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

मां लक्ष्मी की आरती (Mata Lakshmi Ki Aarti)

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।

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