धर्म-अध्यात्म

पेरो के तलवो की रेखाओं से जाने आपना भविष्य

Kiran
30 Jun 2023 1:12 PM GMT
पेरो के तलवो की रेखाओं से जाने आपना भविष्य
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हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथो एवं शास्त्रों में अनेक ऐसी विधियां वर्णित है जिनके द्वारा हम भविष्य में घटित होने वाली घटना, उसके संकेतों को समझने एवं भविष्य का सटीक अनुमान लगा सकते है। इनकी मदद से प्रत्येक व्यक्ति अपने आने वाले कल की कुछ बातें जान लेता है और यदि आने वाला समय बुरा होने वाला हो, तो उसके उपाय खोजकर समाधान भी पा सकता है। आज हम आपको रेखाओं से संबंधित रोचक जानकारी के बारे बताएंगे। आइये अब जानते है पेरो के तलवो की रेखाएं क्या कहती है आपके बारे में।
* पैरों की पद्मरेखा (भाग्य रेखा), जिस प्रकार हाथ में भाग्य रेखा होती है ठीक उसी प्रकार पैर में यह खड़ी रेखा पाई जाती है। यह रेखा जितनी गहरी, लंबी, स्पष्ट एवं निर्दोष होती है, जातक उतना ही अधिक सुख-संपत्तियुक्त जीवन-यापन करता है। इसे पद्म रेखा भी कहते हैं। अगर यह रेखा एड़ी के निचले भाग से प्रांरभ होकर अंगुष्ठ तक जाए तो जातक देश-विदेश में प्रसिद्ध सम्राट (राजा) होता है।
* पैर के अंगुठे से शुरु होकर जो रेखा पूरे पैर के तलवे को दो भागों में विभाजित करती है। वह रेखा उर्ध्व रेखा कहलाती है। उर्ध्व रेखा जिस व्यक्ति के पैरों में होती है उसे कभी पैसों की कमी नहीं होती है। इस रेखा का पूरा प्रभाव तभी मिल पाता है जब यह रेखा, अन्य रेखाओं से कटी हुई ना हो या कहीं से टूटी हुई ना हो। साथ ही यह रेखा लम्बी भी होना चाहिए। यह रेखा व्यक्ति को पराक्रमी और तेजस्वी भी बनाती है।
* पैर के तलवों पर कमल पुष्प, शंख, छत्र, तलवार, सांप, पद्म, बाण, ध्वजा आदि शुभ लक्षण चिह्न हों तो ऐसे जातक भाग्यवान होते हैं गरीब घर में पैदा होने पर भी राजा सा जीवन यापन करते हैं।
* पैरों के मध्य से निकलकर तीन रेखाएं साथ चलकर आगे बढ़े और उसमें से एक रेखा अंगुलियों तक पहुंच जाए तो ऐसा जातक परम ऐश्वर्यशाली एवं प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
* यदि रेखा पैर की मध्यमा अंगुली मतलब मीडिल फिंगर से शुरू होती है तो वह व्यक्ति पुत्र व पौत्रों का सुख मिलता है। यदि पैर के तलवे पर तीन रेखाएं आकर मिलती है उसके बाद वे रेखाएं किसी भी अंगुली की और चली जाती है तो ऐसी रेखा वाला व्यक्ति सभी सुख प्राप्त करता है।
* यदि एक खड़ी रेखा लगभग तीन इंच की एड़ी के मध्य स्थित हो तो ऐसा जातक मदिरापान करने वाला तथा अपने स्वजन बंधु-बांधव, पुत्र आदि से विरोध रखता है। उसे अपनी मदिरापान मंडली के मित्र ही अच्छे लगते हैं।
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