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धर्म-अध्यात्म
जानिए भगवान शंकर को क्यों चढ़ाते हैं भांग-धतूरा और कांटा
Tara Tandi
28 March 2022 7:00 AM GMT
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जानिए भगवान शंकर को क्यों चढ़ाते हैं भांग-धतूरा और कांटा
भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है भगवान शिव को कोई एक लोटा जल भी चढ़ा दे तो वह प्रसन्न हो जाते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है भगवान शिव को कोई एक लोटा जल भी चढ़ा दे तो वह प्रसन्न हो जाते हैं। भक्त भगवान शिव को धतूरा, बिल्वपत्र (जिनमें कांटे भी होते हैं), भांग, गन्ना और बेर भी चढ़ाते हैं। कथावाचक प्रेम भूषण जी बताते हैं कि ये चीजें भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होती हैं और भगवान इन चीजों को सहज स्वीकार करते हैं। उन्होंने बताया ऐसे कोई देवता नहीं हैं, जिनको ये चीजें चढ़ती हों। आइए जानते हैं कथा वाचक प्रेम भूषण महाराज के अनुसार ये चीजें भोलेनाथ को क्यों प्रिय हैं…
जानिए क्यों चढ़ाया जाता है जल:
कथावाचक प्रेम भूषण महाराज के अनुसार शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान विष पीने के बाद शिव का कंठ नीला पड़ गया था। विष की ऊष्णता को शांत करने के लिए महादेव को सभी देवी देवताओं ने जल अर्पित किया। इसलिए शिव पूजा में जल के प्रयोग का महत्व होता है। जो भक्त भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं, उनको भगवान आरोग्य का वरदान देते हैं।
क्यों अर्पित किया जाता है बिल्वपत्र:
कथावाचक प्रेम भूषण महाराज के मुताबिक बिल्वपत्र को भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक माना जाता है। अत: इनकी पूजा में इसका प्रयोग जरूर करना चाहिए। जो भक्त भोलेनाथ को बिल्वपत्र चढ़ाते हैं, मान्यता है कि उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
जानिए क्यों चढ़ाया जाता है धतूरा:
कथावाचक प्रेमभूषण महाराज के अनुसार भगवान शिव को धतूरा भी काफी प्रिय है। धार्मिक दृष्टि से इसका कारण देवी भागवत पुराण में बताया गया है। शिव जी ने जब सागर मंथन से निकले हलाहल विष को पी लिया था तब वह व्याकुल होने लगे। तब अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल आदि औषधियों से शिव जी की व्याकुलता दूर की तभी से धतूरा शिव जी को प्रिय है।
भांग क्यों चढ़ाई जाती है:
प्रेम भूषण महाराज के अनुसार शिव हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं। माना जाता है कि भांग ध्यान केंद्रित करने में मददगार होती है। समुद्र मंथन में निकले विष का सेवन करने पर भगवान शिव को औषधि स्वरूप भांग दी गई थी। जिसके बाद से भोलेनाथ पर भांग चढ़ाने की परपंरा शुरू हुई।
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