धर्म-अध्यात्म

जानिए क्यों है इस महीने का नाम श्रावण?

Tara Tandi
20 July 2022 9:48 AM GMT
जानिए क्यों है इस महीने का नाम श्रावण?
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सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. हिंदू धर्म में सावन के महीने को एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. हिंदू धर्म में सावन के महीने को एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है. सावन के इस पूरे महीने में भगवान शिव के भक्त उनकी भक्ति में रम जाते हैं. पंचांग के अनुसार, देखा जाए तो साल के पांचवे महीने को श्रावण माह कहा जाता है. हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से वे प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी परेशानियों का नाश करते हैं. सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार का बहुत खास महत्व होता है. इस माह को श्रावण मास क्यों कहा जाता है?

क्यों है इस महीने का नाम श्रावण ?
पंचांग के अनुसार, सावन का महीना पांचवा महीना होता है. इस महीने का नाम श्रावण होने के पीछे एक कारण है कि इस महीने पूर्णिमा पर चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होते हैं. वैदिक ज्योतिष की मानें, तो श्रवण नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति ग्रह है. श्रवण का अर्थ होता है सुनना. इस माह में भगवान के स्वरूप के बारे में सुनने से मन के विकार दूर होते हैं. यही कारण है कि इस माह में धार्मिक ग्रंथों का श्रवण करने का विशेष महत्व बताया गया है.
-पौराणिक कथाओं के अनुसार
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था और इसमें से निकले विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया, जिसके कारण भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा, इसको पीकर भगवान शिव ने इस सृष्टि को बचाया. विष का प्रभाव इतना था कि भोलेनाथ का कंठ जलने लगा. इसके बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर उन्हें ठंडा करने के लिए उनके ऊपर जल डाला. इसी कारण सावन के महीने में शिव अभिषेक का विशेष महत्व है.
क्यों प्रिय है भगवान शिव को सावन का महीना ?
सावन के महीने को भगवान शिव का प्रिय माह भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई हजार वर्षों तक श्रापित जीवन व्यतीत किया. इसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर माता पार्वती के रूप में जन्म लिया.
माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन के महीने में ही कठोर तप किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया.
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