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धर्म-अध्यात्म
जानिए क्यों नहीं है ब्रह्मदेव जी का कोई मंदिर, क्या है इसके पीछे का कारण
Ritisha Jaiswal
24 April 2021 8:17 AM GMT

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इस सृष्टि की रचना ब्रह्मदेव द्वारा की गई थी. संसार के प्रत्येक जीव का निर्माण ब्रह्मदेव ने ही किया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | इस सृष्टि की रचना ब्रह्मदेव द्वारा की गई थी. संसार के प्रत्येक जीव का निर्माण ब्रह्मदेव ने ही किया है. क्या आपने कभी विचार किया है कि इस सृष्टि के रचयिता ब्रह्मदेव जिनकी पदवी इतनी उच्च है, की पूजा क्यों नही की जाती? पूरे विश्व में ब्रह्मदेव के केवल गिने-चुने ही मंदिर हैं, जिनमें से केवल राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मदेव मंदिर सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध है. ऐसा क्यूं?
आज हम आपको बताएंगे कि क्यों ब्रह्मदेव की पूजा नहीं की जाती है? ब्रह्मा जी से ही वेद ज्ञान का प्रचार हुआ. उनके चार चेहरे, चार भुजाएं और प्रत्येक भुजा में एक-एक वेद है परन्तु बहुत ही कम सम्प्रदाय हैं जो उनकी आराधना करते हैं. उनकी पूजा न होने के सबसे मुख्य और महत्वपूर्ण कारण पर हम प्रकाश डालेंगे. तो आइए जानते हैं-
एक बार ब्रह्मा जी को सृष्टि के कल्याण के लिए धरती पर एक यज्ञ सम्पन्न करना था. यज्ञ के लिए स्थान का चुनाव करने के लिए उन्होंने अपनी बांह से निकले एक कमल को धरती पर भेजा. वो कमल राजस्थान के पुष्कर में गिरा. इस पुष्प के यहां गिरने से एक तालाब का निर्माण हुआ और ब्रह्मा जी ने यही स्थान यज्ञ के लिए चुना परन्तु यज्ञ के लिए ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री समय पर नहीं पहुंच पाईं.
इस यज्ञ को संपन्न करने के लिए एक स्त्री की आवश्यकता थी. यज्ञ का समय निकला जा रहा था परन्तु सावित्री नहीं पहुंचीं. अगर यज्ञ समय पर संपन्न नहीं होता तो इसका लाभ नहीं मिल सकता था. इसलिए ब्रह्मा जी ने स्थानीय ग्वालन से विवाह कर लिया और यज्ञ में बैठ गए.
यज्ञ आरंम्भ होने के थोड़ी देर पश्चात ही जब सावित्री पहुंची तो अपने स्थान पर किसी दूसरी स्त्री को देख क्रोधित हो उठीं और ब्रम्हा जी को श्राप दिया कि इस सम्पूर्ण पृथ्वी पर कहीं तुम्हारी पूजा नहीं होगी और कोई भी व्यक्ति तुम्हें पूजा के समय याद नहीं करेगा. सावित्री को इतने क्रोध में देख सभी देवता डर गए और सबने सावित्री से विनती की कि वो अपना श्राप वापस ले लें.
तब सावित्री ने क्रोध शांत हो जाने के बाद कहा कि जिस स्थान पर आपने यज्ञ किया है केवल इसी स्थान पर आपका मंदिर बनेगा. इसी कारण केवल पुष्कर में ही ब्रह्मा जी को पूजा जाता है मान्यता है कि क्रोध शांत होने के पश्चात देवी सावित्री पास ही स्थित एक पहाड़ी पर जाकर तपस्या में लीन हो गईं और आज भी वहां उपस्थित हैं और अपने भक्तों का कल्याण करती हैं. यहां आकर विवाहित महिलाएं अपने समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए मनोकामना करती हैं. ब्रह्मा जी का पुष्कर में स्थित ये मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और अजमेर आने वाले सभी हिन्दू पुष्कर में ब्रह्मदेव के मंदिर और वहां स्थित तालाब के दर्शन करने अवश्य आते हैं.
Tagsब्रह्मदेव जी

Ritisha Jaiswal
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