धर्म-अध्यात्म

जानें वसंत पंचमी के दिन कामदेव और रति की भी पूजा करने की परंपरा क्यों हैं?

Kajal Dubey
2 Feb 2022 2:17 AM GMT
जानें वसंत पंचमी के दिन कामदेव और रति की भी पूजा करने की परंपरा क्यों हैं?
x
कामदेव एवं रति की पूजा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ माह (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा (Saraswati Puja) की जाती है. शिशुओं को अक्षर ज्ञान या उनकी शिक्षा का प्रारंभ भी वसंत पंचमी के दिन से ही कराया जाना चाहिए. इस वर्ष वसंत पंचमी 05 फरवरी दिन शनिवार को है. इस दिन मां सरस्वती के अलावा कामदेव (Kamdev) और रति (Rati) की भी पूजा करने की परंपरा है. आइए जानते हैं कि वसंत पंचमी पर कामदेव और रति की पूजा क्यों करते हैं?

वसंत पंचमी 2022: कामदेव एवं रति की पूजा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन से कामदेव और रति पृथ्वी पर आते हैं, तब से वसंत ऋतु का आगमन होने लगता है. कामदेव एवं रति के आगमन से पृथ्वी पर प्रेम बढ़ता है. कामदेव के प्रभाव से पृथ्वी पर इस ऋतु में सभी जीवों में प्रेम भाव का संचार होता है. इस वजह से वसंत पंचमी पर कामदेव एवं उनकी पत्नी रति की पूजा करने की परंपरा है.
कामदेव के अतिरिक्त वसंत पंचमी के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा होती हैं. राधा और कृष्ण की भी वसंत पंचमी को पूजा होती है क्योंकि वे तो सच्चे प्रेम के प्रतीक हैं.
कौन हैं कामदेव
प्रेम और काम के देवता कामदेव हैं और उनकी पत्नी रति हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, कामदेव भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पुत्र हैं. उनका विवाह रति से हुआ है. भगवान शिव ने क्रोध में आकर जब उनको भस्म कर दिया था, तब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रुप में उनको फिर से शरीर प्राप्त हुआ.
सती के आत्मदाह के बाद वैरागी भगवान शिव के मन में काम एवं प्रेम जागृत करने के लिए देवताओं ने कामदेव का सहयोग लिया था, ताकि भगवान शिव का ध्यान भंग हो और माता पार्वती से उनकी दोबारा मिलन हो. इस वजह से कामदेव ने पत्नी रति के साथ भगवान शिव का ध्यान भंग किया. परिणामस्वरुप भगवान शिव के क्रोध का वे शिकार हो गए.
कामदेव को भस्म स्वरुप में देखकर रति विलाप करने लगीं, तो भगवान शिव ने उनको आशीर्वाद दिया कि कामदेव भाव रुप में मौजूद रहेंगे. वे मरे नहीं हैं, वे अनंग हैं, क्योंकि उनका शरीर नष्ट हो गया है, वे अब बिना अंग वाले हो गए हैं. प्रद्युम्न के रुप में उनको दोबारा शरीर प्राप्त होने का वरदान शिव जी ने दिया था.


Next Story