धर्म-अध्यात्म

नाग पंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है, जानिए

Bhumika Sahu
13 Aug 2021 2:12 AM GMT
नाग पंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है, जानिए
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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन नागों की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन पूजा करने से कुंडली में काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है. इस बार नाग पंचमी का पर्व 13 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा. इस दिन नागों की पूजा होती है. ज्योतिषों के अनुसार, नाग पंचमी के दिन पूजा करने से राहु केतू और काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है. इस दिन रुद्राभिषेक कराना बहुत फलदायी माना जाता है. शास्त्रों में दो तरह के नागों के बारे में बताया गया है. स्कंद पुराण में नागों के प्रकार के बारे में बताया गया है.

नाग पंचमी पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन सुबह स्नान कर पूजा का संकल्प लें. इस दिन पूजास्थल पर नाग देवता का चित्र या मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा करें. नाग देवता पर हल्दी, रोली, चावल, कच्चा दूध, फूल आदि चढ़ाएं. नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, कुलीर, तक्षक, कर्कट और शंख नामक अष्ट नाग देवताओं की पूजा होती है. नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख- समृद्धि आती है. महिलाएं नागदेवता को अपना भाई मानती हैं और उनसे अपने परिवार की रक्षा की बात करती हैं. नाग पचंमी पर नागदेवता की पूजा करने से घर में धन का आगमत होता है. इतना ही नहीं, शास्त्रों में भी कहा गया है कि नाग देवता आपके गुप्त धन की रक्षा करते हैं.
कैसे शुरू हुई नाग पंचमी की पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने सर्पों से बदला लेने और नाग वंश के विनाश के लिए एक यज्ञ रखा था. क्योंकि राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाम के सर्प के काटने से हुई थी. इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारू के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था. उन्होंने सावन की पंचमी के दिन सांपों को जलने से बचाया था. उन्होंने जलते हुए नागों के शरीर पर दूध की धार डालकर शीतलता प्रदान की थी. उस समय नांगों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी के दिन जो भी नागों की पूजा करेगा उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा. इसके बाद से नाग पंचमी मनाई जाने लगीं. ऋषि आस्तिक मुनि ने जिस दिन नांगों को बचाया उस दिन श्रावण मास की पंचमी तिथि थी. मान्यता है कि इसके बाद से नाग पंचमी का पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित हुई.


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