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जानिए क्यों मनाया जाता है एकादशी का पर्व, श्री कृष्ण ने स्वयं बताया इस दिन को महत्व
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | सनातन धर्म में यूं तो हर तिथि का अपना महत्व है परंतु अगर बात एकादशी तिथि की हो तो कहा जाता है इसका महत्व अधिक है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी तिथि प्रत्येक माह में कुल 2 बार आती है जो सृष्टि के पालवकर्ता भगवान विष्णु को समर्पित है। 07 फरवरी को माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के रूप में जाना जाता है। जिस तिल एकादशी व तिल्दा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन के महत्व की बात करें तो इस दिन व्रत आदि करने वाले जातक को दैवीय आशीर्वाद और दान करने से और गरीबों को भीजन करवाने से जातक को अधिक को लाभ प्राप्त होता है। इतना ही नहीं उपरोक्त कार्य करने वाले व्यक्ति तो प्रचुर धन और खुशी मिलती है। षटतिला एकादशी पर तिल का खासा महत्व होता है। धार्मिक शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि इस दिन न केवल इनका दान करना शुभ होता है बल्कि इसका अधिकतर इस्तेमाल करना भी लाभदायक होता है।
पौराणिक मान्यता है कि इस दिन खासतौर पर 6 तरह के तिलों का प्रयोग करने से जातक को एक साथ बहुत सारे पुण्य की प्राप्त होती है, तथा वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती हैं। इसलिए इस दिन व्रत रखने वाले प्रत्येक जातक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तिलों का स्नान, उबटन, आहुति, तर्पण, दान और खान में जितना हो सके अधिक इस्तेमाल करें।
आइए अब जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा-
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार एक महिला थी, उसके पास विशाल संपत्ति थी। उसे दान-पुण्य करना अधिक अच्छा लगता था, इसलिए वह गरीब लोगों को बहुत दान करती थ। खासतौर पर वह जरूरतमंदों को ज्यादा दान देती थी। वह गरीबों में बहुमूल्य उत्पाद, कपड़े एवं बहुत सारे पैसे वितरित करती थी। परंतु उन्हें कभी भोजन नहीं देती थी।माना जाता है कि सभी उपहार व दान में से सबसे अधिक महत्वपूर्ण और दिव्य भोजन का दान होता है, क्योंकि यह दान, दानी व्यक्ति को महान गुण प्रदान करता है। उस महिला द्वारा ऐसा करने पर भगवान कृष्ण ने उपरोक्त दिए तथ्य से महिला को अवगत कराने का फैसला किया।
इसी विचार से वह स्वयं उस महिला के सामने भिखारी के रूप में प्रकट हुए और भोजन मांगा। जैसा कि अपेक्षित था, उसने दान में भोजन देने से इनकार कर दिया और उसे निकाल दिया। भिखारी के रूप में श्री कृष्ण ने बार-बार खाना मांगां। मगर उस महिला ने खाना नहीं दिया। बल्कि क्रोधित होकर भिखारी रूप में आए श्री कृष्ण की कटोरी में एक मिट्टी की गेंद् डाल दें। जिसक बाद श्री कृष्ण ने यह देखक भिखारीवेश में ही बोले धन्यवाद दिया और वहां से चले गए। जब महिला ने अपने घर जाकर देखा तो सारा खाना मिट्टी में परिवर्तित हो चुका था। अब भूख के कारण उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। जिसके बाद उसने इन सबसे बचने के लिए भगवान के आगे प्रार्थना की।
महिला के प्रार्थना को सुनकर, भगवान श्री कृष्ण ने उसके सप्वन में दर्शन दिए और उसे सारे बात याद दिलाई और कहा कि जो कार्य तुमने किया ऐसे कार्य कर तुमने स्वयं अपने दुर्भाग्य को आमंत्रित किया है, जिस कारण तुम्हारे साथ आज ये परिस्थितियां हैं। इसके बाद श्री कृष्ण ने महिला को षटतिला एकादशी का महत्व समझाते हुए इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत करने और गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन दान करने की आज्ञ दी। मान्यता है कि श्री कृष्ण की आज्ञा का पालन करते हुए महिला ने व्रत का पालन किया और साथ ही साथ जरूरतमंद और गरीबों को बहुत सारा भोजन दान किया और जिसके शुभ प्रभाव के चलते, उसने अपने जीवन में बहुत सारा धन, अच्छा स्वास्थ्य और सुख पाया।