धर्म-अध्यात्म

जानिए क्रिसमस का त्योहार क्यों मनाया जाता है जाने महत्व

Teja
24 Dec 2021 5:20 AM GMT
जानिए क्रिसमस का त्योहार क्यों मनाया जाता है जाने महत्व
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क्रिसमस का त्योहार हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है. ईसाई धर्म के लोगों के लिए यह त्योहार काफी महत्वपूर्ण होता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | क्रिसमस का त्योहार हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है. ईसाई धर्म के लोगों के लिए यह त्योहार काफी महत्वपूर्ण होता है लेकिन अब सभी धर्म के लोग इस त्योहार को काफी धूमधाम से मनाते हैं. बच्चों को इस त्योहार का इंतेजार सालभर रहता है. इस दिन सांता क्लॉज बच्चों को बहुत सारे उपहार देता है. ऐसे में आइए जानते हैं क्रिसमस के बारे में और भी विस्तार सेChristmas 2021: क्रिसमस पर भूलकर भी गिफ्ट ना करें ये चीजें, उठानी पड़ सकती हैं कई दिक्कतें

क्रिसमस का इतिहास
एक बार ईश्वर ने ग्रैबियल नामक अपना एक दूत मैरी नामक युवती के पास भेजा. ईश्वर के दूत ग्रैबियल ने मैरी को जाकर कहा कि उसे ईश्वर के पुत्र को जन्म देना है. यह बात सुनकर मैरी चौंक गई क्योंकि अभी तो वह कुंवारी थी, सो उसने ग्रैबियल से पूछा कि यह किस प्रकार संभव होगा? तो ग्रैबियल ने कहा कि ईश्वर सब ठीक करेगा. समय बीता और मैरी की शादी जोसेफ नाम के युवक के साथ हो गई. भगवान के दूत ग्रैबियल जोसेफ के सपने में आए और उससे कहा कि जल्द ही मैरी गर्भवती होगी और उसे उसका खास ध्यान रखना होगा क्योंकि उसकी होने वाली संतान कोई और नहीं स्वयं प्रभु यीशु हैं. उस समय जोसेफ और मैरी नाजरथ जोकि वर्तमान में इजराइल का एक भाग है, में रहा करते थे. उस समय नाजरथ रोमन साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था. एक बार किसी कारण से जोसेफ और मैरी बैथलेहम, जोकि इस समय फिलस्तीन में है, में किसी काम से गए, उन दिनों वहां बहुत से लोग आए हुए थे जिस कारण सभी धर्मशालाएं और शरणालय भरे हुए थे जिससे जोसेफ और मैरी को अपने लिए शरण नहीं मिल पाई. काफी थक−हारने के बाद उन दोनों को एक अस्तबल में जगह मिली और उसी स्थान पर आधी रात के बाद प्रभु यीशु का जन्म हुआ. अस्तबल के निकट कुछ गडरिए अपनी भेड़ें चरा रहे थे, वहां ईश्वर के दूत प्रकट हुए और उन गडरियों को प्रभु यीशु के जन्म लेने की जानकारी दी. गडरिए उस नवजात शिशु के पास गए और उसे नमन किया Christmas 2021 Tradition: जानें दुनियाभर के अलग-अलग देशों में किस तरह से मनाया जाता है क्रिसमस, आप भी जानें इन यूनिक ट्रेडिशन के बारे में
यीशु जब बड़े हुए तो उन्होंने पूरे गलीलिया में घूम−घूम कर उपदेश दिए और लोगों की हर बीमारी और दुर्बलताओं को दूर करने के प्रयास किए. धीरे−धीरे उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलती गई. यीशु के सद्भावनापूर्ण कार्यों के कुछ दुश्मन भी थे जिन्होंने अंत में यीशु को काफी यातनाएं दीं और उन्हें क्रूस पर लटकाकर मार डाला. लेकिन यीशु जीवन पर्यन्त मानव कल्याण की दिशा में जुटे रहे, यही नहीं जब उन्हें कू्रस पर लटकाया जा रहा था, तब भी वह यही बोले कि 'हे पिता इन लोगों को क्षमा कर दीजिए क्योंकि यह लोग अज्ञानी हैं.' उसके बाद से ही ईसाई लोग 25 दिसम्बर यानि यीशु के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाते हैं. - Christmas 2021 Baked Potato Recipe: घर में रखी है क्रिसमस पार्टी? झटपट बनाएं ये बेक्ड पोटैटो चिप्स, जानें रेसिपी
सांता क्लॉज का इतिहास
सांता निकोलस को सांता क्लॉज के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इनका जन्म ईसा मसीह की मृत्यु के लगभग 280 साल बाद हुआ था. माना जाता है कि सांता निकोलस ने अपना पूरा जीवन यीशू को समर्पित कर दिया था. वह हर साल यीशू के जन्मदिन के मौके पर अंधेरे में जाकर बच्चों को तोहफे दिया करते थे. तभी से लेकर आज तक भी यह चलन चलता आ रहा है. आज भी लोग सांता क्लॉज बनकर बच्चों को तोहफे बांटते हैं.
क्रिसमस का महत्व
क्रिसमस का महत्व ईसाइयों के लिए बहुत अधिक होता है. प्रभु यीशु के जन्म के अवसर पर यह त्योहार मनाया जाता है. क्रिसमस का पर्व ईसाइयों में ही नहीं सभी धर्मों में पूरे धूमधाम से मनाया जाता है. बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी की क्रिसमस का पर्व 1 दिन का नहीं बल्कि पूरे 12 दिन का पर्व है और यह पर्व क्रिसमस की पूर्व संध्या से शुरू हो जाता है. क्रिसमस ईव यानि क्रिसमस की पूर्व संध्या धार्मिक और गैर-धार्मिक दोनों परंपराओं से जुड़ी है. इन परम्पराओं का मुख्य केंद्र प्रभु यीशु का जन्म है. ईसाई धर्म में भी अपनी विभिन्न संप्रदाय हैं जिनकी अलग परंपराएं हैं. इस दिन रोमन कैथोलिक और एंग्लिकन मिडनाइट मास का आयोजन करते हैं. लुथेरन कैंडल लाइट सर्विस और क्रिसमस कैरोल के साथ जश्न मनाते हैं. कई एवेंजेलिकल चर्च में शाम की सेवाओं का आयोजन होता है जहां परिवार पवित्र भोज बनाते हैं.


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