धर्म-अध्यात्म

जाने आज के दिन क्यों होती है सिलबट्टे की पूजा

Tara Tandi
15 Jun 2022 6:20 AM GMT
जाने आज के दिन क्यों होती है सिलबट्टे की पूजा
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इस साल 15 जून 2022 दिन बुधवार यानि आज मिथुन संक्रांति मनाई जा रही है. बता दें कि एक साल में 12 संक्रांति आती हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल 15 जून 2022 दिन बुधवार यानि आज मिथुन संक्रांति मनाई जा रही है. बता दें कि एक साल में 12 संक्रांति आती हैं, जिसमें भगवान सूर्य अलग-अलग राशि और नक्षत्र में विराजमान होते है. जब सूर्यदेव मिथुन राशि में प्रवेश करने की स्थिति में होते है तो इसे सूर्य की मिथुन संक्रांति कहते हैं. आज के दिन सूर्यदेव की पूजा का विधान है. मान्यता है कि आज से ही वर्षा ऋतु की भी शुरूआत हो जाती है. अच्छी फसल के लिए जोरदार बारिश जरूरी है. ऐसे में लोग जोरदार बारिश के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं. ध्यान दें कि मिथुन संक्रांति को रज संक्रांति भी कहते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आज के दिन सिलबट्टे की पूजा क्यों होती है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि सिलबट्टे की पूजा क्यों की जाती है

क्यों की जाती है सिलट्‌टे की पूजा
मान्यता है कि जैसे महिलाओं को मासिक धर्म होते हैं वैसे ही घरती मां के लिए भी ये दिन मासिक धर्म वाले होते हैं. मासिक धर्म शरीर के विकास का प्रतीक होते हैं. ऐसे में इस दिन भू देवि यानी धरती मां के मासिक धर्म होने से पृथ्वी का विकास होता है. चौथा दिन धरती के स्नान का दिन होता है. इस दिन को वसुमती गढ़ुआ भी कहा जाता है. सिलबट्‌टे धरती माता का रूप होता है इसलिए ये तीन सिलबट्टे का प्रयोग नहीं होता. चौथे दिन सिलबट्‌टे का इस्तेमाल करने से पहले उसे जल और दूध से स्नान करवाया जाता है. फिर उसकी पूजा चंदन, सिंदूर, फल और फूल से की जाती है. मान्यता है कि इस दिन गेहूं, गुड़, घी, अनाज (जौ) आदि का दान करना बेहद ही शुभ माना जाता है
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