धर्म-अध्यात्म

जानें मिथुन संक्रांति पर आखिर क्यों पूजा जाता है सिलबट्टा

Ritisha Jaiswal
13 Jun 2022 4:58 PM GMT
जानें मिथुन संक्रांति पर आखिर क्यों पूजा जाता है सिलबट्टा
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सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहा जाता है. इस साल 15 जून को सूर्यदेव मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे

सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहा जाता है. इस साल 15 जून को सूर्यदेव मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे और इस दिन मिथुन संक्रांति मनाई जाएगी. सालभर में कुल 12 संक्रांति मनाई जाती है. इसमें हर महीने सूर्य देव अलग-अलग राशि और नक्षत्र में विराजमान होते हैं. ये दिन सूर्यदेव की पूजा को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान के साथ सूर्य देव की पूजा की जाती है.

ज्योतिष अनुसार अब सूर्य देव इस राशि में एक माह तक रहेंगे. इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन से वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है. इस दिन को रज संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानें इस दिन का पुण्यकाल और महापुण्यकाल का समय और इस दिन की विशेषता के बारे में.
मिथुन संक्रांति शुभ मुहूर्त 2022
मिथुन संक्रांति इस साल 15 जून को मनाई जाएगी. मिथुन संक्रांति का पुण्यकाल का समय दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और शाम को 7 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. बता दें कि पुण्यकाल की पूरी अवधि 7 घंटे 2 मिनट है. वहीं, महापुण्य काल का समय दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 2 बजकर 38 मिनट कर रहेगा. इसकी कुल अवधि 2 घंटा 20 मिनट है.
जानें क्यों होती है सिलबट्टे की पूजा
-मिथुन संक्रांति के दिन जहां स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है. वहीं, आज के दिन सिलबट्टे की पूजा का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि ये तीन दिन धरती मां के मासिक धर्म के दिन होते हैं. वहीं, चौथा दिन धरती मां के स्नान का होता है. इसे वसुमती गढ़ुआ कहते हैं.


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