धर्म-अध्यात्म

जानिए शनिदेव का रंग काला क्यों है और उन्हें काली वस्तुएं ही क्यों पसंद हैं

Bhumika Sahu
29 Jan 2022 3:02 AM GMT
जानिए शनिदेव का रंग काला क्यों है और उन्हें काली वस्तुएं ही क्यों पसंद हैं
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शनिदेव को शास्त्रों में कर्मफलदाता और बहुत शक्तिशाली व क्रूर स्वभाव का बताया गया है. शनिदेव का वर्ण काला माना जाता है और उन्हें काली वस्तुएं ही काफी प्रिय हैं. ऐसा किस आधार पर कहा जाता है, यहां पौराणिक कथा के जरिए जानिए इसके बारे में.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शनिवार का दिन शनिदेव (Shanidev) को समर्पित है. शनिदेव नौ ग्रहों में से एक होने के साथ कर्मफलदाता भी बताए जाते हैं. यानी वो व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुरूप ही फल देते हैं. शनिदेव का स्वभाव काफी क्रूर और उनका रंग काफी काला (Black Color) बताया गया है. साथ ही उन्हें काफी शक्तिशाली ग्रह माना जाता है. मंदिरों में भी शनिदेव की प्रतिमा इसीलिए काले रंग की लगाई जाती है. इसके अलावा शनिदेव का प्रिय रंग भी काला माना जाता है और उन्हें काली वस्तुएं (Black Things) जैसे काली उड़द की दाल, काले तिल, काला वस्त्र, लोहा आदि अर्पित किया जाता है. माना जाता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त पर कृपा दृष्टि डालते हैं. इन उपायों से शनि संबन्धी कष्ट भी समाप्त हो जाते हैं. यहां जानिए कि शनिदेव का रंग काला क्यों है और उन्हें काली वस्तुएं ही क्यों पसंद हैं.

शनिदेव के काले रंग को लेकर प्रचलित है कथा
शनिदेव के काले रंग को लेकर शास्त्रों में एक कथा बताई गई है. इस कथा के मुताबिक सूर्य देव का विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री संध्या से हुआ था. संध्या और सूर्यदेव की मनु, यमराज और यमुना नामक संतानें थीं. बताया जाता है कि सूर्य देव में तेज इतना ज्यादा था, कि संध्या उस तेज को सहन नहीं कर पाती थीं, इसलिए उन्होंने एक दिन अपनी प्रतिरूप छाया को वहां रख दिया और खुद अपने पिता के घर चली गईं.
गुण और रूप में संध्या के समान होने के कारण सूर्य देव ये भांप नहीं पाए कि छाया वास्तव में संध्या का प्रतिरूप हैं. कुछ समय बाद छाया गर्भवती हो गईं. गर्भधारण के समय से ही छाया भगवान शिव का कठोर तप करती थीं. इस कारण वे अपनी गर्भावस्था का भी सही से ध्यान नहीं रख पायीं. इस कारण जब शनिदेव का जन्म हुआ तो वे अत्यंत कुपोषित और काले रंग के थे. अपने पुत्र का काला रंग देखकर सूर्य देव ने उन्हें अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया. ये बात शनिदेव को बहुत खराब लगी.
चूंकि गर्भावस्था के समय छाया ने महादेव का तप किया था, इस कारण शनिदेव को जन्म से ही महादेव की कृपा प्राप्त थी और वे जन्म से ही काफी शक्तियां लेकर उत्पन्न हुए थे. सूर्य देव द्वारा ठुकराने पर उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने उसी क्रोध से सूर्यदेव का देखा तो सूर्यदेव का रंग भी काला हो गया और वे कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए. इसके बाद सूर्य देव को अपनी गलती का अहसास हुआ और वे भगवान शिव के पास अपनी गलती की क्षमा याचना करने पहुंचे. इसके बाद उन्होंने शनि देव को सभी ग्रहों में शक्तिशाली होने का वरदान दिया. महादेव ने उन्हें कर्मफलदाता बना दिया.
इसलिए शनिदेव को काली वस्तुएं अर्पित की जाती हैं
अपने जन्म के बाद काला वर्ण होने के कारण शनिदेव को उपेक्षा सहनी पड़ी. ऐसे में उन्हें अहसास हुआ कि काला रंग कितना उपेक्षित है. पूजा पाठ आदि किसी शुभ काम में इस रंग को अहमियत नहीं मिलती है. इस कारण उन्होंने काले रंग को अपना प्रिय रंग बना लिया. तब से शनिदेव को काले रंग की वस्तुएं चढ़ाई जाने लगीं. इससे शनिदेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा अगर आप किसी जरूरतमंद, असहाय या उपेक्षित व्यक्ति की मदद करते हैं, तो इससे भी शनिदेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं.


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