धर्म-अध्यात्म

जानें क्यों मनाई जाती रूप चौदस, क्या है इसका पूजा मुहुर्त

Shiddhant Shriwas
3 Nov 2021 2:31 AM GMT
जानें क्यों मनाई जाती रूप चौदस, क्या है इसका पूजा मुहुर्त
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नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है।

रुप चौदस को नर्क चतुर्दशी, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से जाना जाता है। इस दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान होता है। पंचांग में तिथि मतभेद होने के कारण और तिथि ह्रास होने के कारण कुछ लोग नरक चतुर्दशी 3 नवंबर को मना रहे हैं और कुछ 4 नवंबर को। इसे छोटी दीपावली के रुप में मनाया जाता है इस दिन संध्या के पश्चात दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है। रूप चौदस के दिन तिल का भोजन और तेल मालिश, दन्तधावन, उबटन व स्नान आवश्यक होता है। नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके, देवताओं व ऋषियों को उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी।

क्यों मनाई जाती है रूप चौदस

रूप चतुर्दशी का यह त्यौहार नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है। रूप चौदस मनाने के पीछे की कारण हैं। कहते हैं इस दिन तिल के तेल से मालिश करके, स्नान करने से भगवान कृष्ण रूप और सौन्दर्य प्रदान करते हैं। मान्यता है कि रूप चौदस के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे भारतवर्ष में रूप चतुर्दशी का पर्व यमराज के प्रति दीप प्रज्जवलित कर, यम के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए मनाया जाता है, लेकिन बंगाल में मां काली के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस कहा जाता है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है। काली मां के आशीर्वाद से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिलती है।

रूप चौदस का पूजा मुहूर्त

कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि प्रारंभ (क्षय तिथि): 03 नवंबर प्रातः 09:02 से- 4 नवंबर, 2021 को सुबह 06:03 मिनट पर समाप्त

*पंचांग में तिथि मतभेद होने के कारण और तिथि ह्रास होने के कारण कुछ लोग नरक चतुर्दशी 3 नवंबर को मना रहे हैं और कुछ 4 नवंबर को।

नरक चतुर्दशी की पूजा विधि

सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें।

इस दिन यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है।

घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित करके विधि पूर्वक पूजा करें।

देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रो का जाप करें।

इस दिन की ऐसी मान्यता है कि यमदेव की पूजा करने अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और सभी पापों का नाश होता है इसलिए शाम के समय यमदेव की पूजा करें और घर के दरवाजे के दोनों तरफ दीप जलाएं।

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